कुचामनसिटी. 23 अप्रैल को पांचवें स्थापना दिवस के मौके पर फिजियो हॉस्पिटल कुचामन सिटी में 7 दिन दिनांक 23 अप्रैल 2023 से 30 अप्रैल 2023 तक का स्पेशल शिविर रखा गया। जिसमें रियायती दरों पर ढाका सदन डीडवाना रोड, कुचामन सिटी में सीनियर सिटीजन एवं एक्स आर्मी एक्स गवर्नमेंट सर्वेंट एंड गरीब जरूरतमंद लोगों का रियायती दरों पर व चयनित मरीजों का फ्री इलाज किया जाएगा। डॉ. हरीश कुमावत ने बताया लकवा, स्पाइनल, कॉर्ड इंजरी, साइटिका, कमर दर्द, घुटनों का दर्द, गर्दन का दर्द, एड़ी का दर्द, जोड़ों का दर्द व अन्य असाध्य बीमारियां का इलाज संभव है। कई असाध्य बीमारियों का इलाज डॉक्टर हरीश फिजियोथैरेपी से कर चुके है। जीबीएस जैसी घातक बीमारी का भी इसमें इलाज संभव है। डॉ. हरीश कुमावत ने बताया की वर्तमान में भागदौड़ भरी जिंदगी एवं उचित खानपान समय पर नहीं मिलने के कारण आम तौर पर देखा जा रहा है कि पैरालाइसिस जैसी असाध्य रोग आमतौर पर धीरे-धीरे पैर पसारता जा रहा है। जिससे निजात दिलाने के लिए फिजियोथैरेपी कारगर साबित हो रही है। इसके माध्यम से पैरालाइसिस स्पाइनल कॉर्ड जैसी असाध्य रोग भी देखते देखते ठीक होते जा रहे हैं।
आपको बता दें कि असाध्य रोगों का डॉ हरीश कुमावत के राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाकर नवीनतम तकनीकों को सीख कर आज कुचामन व आसपास के लोगों को इन एडवांस अलग-अलग विधियों से लोगों का इलाज कर रहे हैं। सालों से परेशान मरीजों को बीमारियों से राहत मिल रही है। इस उपचार से इलाज पूर्णतया संभव हो पा रहा है वह भी बिना दवा खाए और कम से कम समय में।
डॉक्टर कुमावत ने बताया कि आज हम बात करते हैं लकवे के मरीजों की। कुछ लोगों का मानना है कि लकवा के मरीज ठीक नहीं होते है। आज के विज्ञान जगत में फिजियोथैरेपी में कई एडवांस तकनीक आ चुकी है। आपके शहर कुचामन में जिनसे कई भारी मरीजों को भी पहले दिन ही फिजियोथेरेपिस्ट खड़ा कर सकता है। डॉ. हरीश ने बताया कि लकवा का मरीज अगर लकवा आते ही 4 घंटे के अंदर हॉस्पिटल पहुंच जाता है तो न्यूरो या न्यूरो सर्जन सीटी स्कैन एमआरआई करवा कर लकवे का कारण पता कर EPA नाम का इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे ब्रेन के अंदर बना क्लोट ठीक हो जाता है और लकवे से होने वाली समस्याएं कम हो जाती है। उसके बाद फिजियो थेरेपी से जल्दी ठीक हो जाता है।
लकवे में फिजियोथैरेपी उपचार साबित हो रहा कारगारः-
लकवे और स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के मरीजों को बेहतर चिकित्सा सविधा दे रहे हैं और मरीज जल्दी ही ठीक हो जाता है। देखरेख में मरीज को हॉस्पिटल में रखा जाता है। डिस्चार्ज होने के बाद मरीज को फिजियोथैरेपी की सलाह दी जाती हैं। अगर मरीज को अच्छे से कराई जाए वह जल्दी ही अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है। फिजियोथैरेपिस्ट लकवा के मरीजों को कई तरह के एक्सरसाइज करा कर कुछ ही दिनों में खड़ा कर देता है। फिजियोथैरेपिस्ट मरीज की कंडीशन के हिसाब से एक्सरसाइज कराते हैं, जैसे कि चलने की ट्रेनिंग देना, हाथों को उठाना, नॉर्मल चाल कैसे चलना हाथों की ताकत लाना हाथों को ऊपर उठाना और भी बहुत सारे एक्सरसाइज कराते हैं। जिससे जल्दी ही मरीज चलने फिरने लग जाता है।
अब चलने लगा इसी तरह रीड की हड्डी में फ्रैक्चर के बाद दोनों पैरों से चल नहीं पा रहे मरीज को फिजियो हॉस्पिटल फिजियोथेरेपी सेंटर पर बड़ी राहत मिली। डॉ. कुमावत ने बताया कि मरीज को रीड की हड्डी के फेक्चर के बाद ऑपरेशन कराना पड़ा ऑपरेशन के बाद मरीज के दोनों पैरों ने काम करना बंद कर दिया मरीज 3 साल से बेड पर था लेकिन आराम नहीं मिला। मरीज के सभी डॉक्यूमेंट में फिजियोथेरेपी की सलाह दे रखी थी लेकिन जागरूक ना होने के कारण किसी तरह से इलाज नहीं हो पाया और उसके बाद मरीज को किसी ने डॉ हरीश कुमावत के फिजियोथिरैपी सेंटर पर जाने की सलाह दी। मरीज को वहीं चेयर से क्लिनिक पर लाया गया। कुछ ही दिनों की फिजियोथेरेपी एक्सरसाइज के चलते हुए रीड की हड्डी का फ्रैक्चर ठीक होने लगा एवं मरीज जल्द ही चलने लायक हो गया। अभी नियमित एक्सरसाइज कर रहा है और अब अपने सारे काम स्वयं कर पा रहा है
इसी प्रकार डॉ हरीश कुमावत का कहना है कि समीप ही खारिया छोटी बेरी निवासी सना खान को गुलेन बेरी सिंड्रोम(GBS) नामक बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया था, इसमें पेशेंट के एक रात में ही चारों हाथ पैर रहने की संभावना होती हैं जीबीएस बीमारी लाखों लोगों में से एक को होती हैं, इस बीमारी में बॉडी का नर्व सिस्टम व इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है । छोटी बेरी निवासी सना खान के चारों हाथ पैर ने अचानक काम करना बंद कर दिया था कहीं जगह पर दिखाने के बाद भी उन्हें लाभ नहीं मिला तो .. इसके बाद डॉक्टर हरीश कुमावत फिजियोथैरेपिस्ट के यहां पर पहुंचे सना खान मरीज के हाथ पैरों की जांच की एवं इलाज शुरू किया और हर दिन 2 घंटे इलाज चलता रहा और 50 से ज्यादा एक्सरसाइज रोजाना करवाई जाती थी। लगातार चिकित्सक के परामश से सना खान डेढ़ महीने में ही चलने लगी और दिनों दिन सुधार होता गया। इसी तरह मरीजों का इलाज करने पर डॉक्टर हरीश कुमावत को राष्ट्रीय पर सम्मानित किया जा चुका है।
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