कुचामन सिटी: नेताओं, अधिकारियों, या किसी और की गलती आज कुचामन का मेगाहाइवे जान लेने वाला काल बन गया है, जो आए दिन घुमावदार मोड़ों पर लोगों का शिकार करता है।
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दरअसल, पिछले कुछ दिनों में ही कुचामन के मुख्य गेट से लेकर, नारायणपुरा में रेलवे स्टेशन तक 3 मौतें एक्सीडेंट्स से हुई हैं। इन हादसों की वजह मेगा हाइवे बनते समय छोड़ी गई कमियां हैं, जो अब मौत का कुआं बन गई हैं।
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पहले बात करते हैं कुचामन गेट से – स्कूल में सभी बच्चों को सिखाया जाता है रेड, येलो और ग्रीन लाइट के बारे में, साथ ही इनकी महत्ता के बारे में। लेकिन कुचामन सिटी के प्रशासन को अभी भी यह लेसन ठीक से याद नहीं, तभी तो गेट के पास जो डिवाइडर बना है, वहां एक भी ट्रैफिक लाइट नहीं है, न ही रिफ्लेक्टिव टेप या कैट्स आई है जिनकी वजह से यह डिवाइडर दिख सके। आए दिन गाड़ियां सीधा इसके ऊपर चढ़ जाती हैं और लोग घायल होते हैं।
यहां डिवाइडर दो रास्तों को अलग करता है जयपुर-नागौर रोड और कुचामन सिटी स्टेशन रोड। ऐसी जगहों पर यातायात नियमों का उल्लंघन बड़े हादसे को न्योता दे सकता है।
कुचामन सिटी गेट के पास डिवाइडर से टकराकर एक गाड़ी चकनाचूर हो गई थी।
अगर आगे चलें तो…
कुचामन वैली के पास एक मोड़ आता है, यहां पर भी कुछ दिनों पहले एक बाइक सवार की जान गई थी। दिन के समय तो यह खतरनाक है ही, रात के समय और ज्यादा हो जाता है। कारण, यहां कोई साइन बोर्ड नहीं लगा है, साथ ही मेगाहाइवे का कंस्ट्रक्शन करते समय ऐसी गलतियां रह गईं जो आज आम जीवन को हानि पहुँचा रही हैं।
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इन गलतियों का एक उदाहरण और है. कुछ ही दूरी पर त्रिसिंगीया गांव है, जहां एक और मोड़ आता है। इतनी सी दूरी पर इतना घुमावदार रास्ता जिसने एक ब्लैक स्पॉट बना दिया है रास्ते का गलत डिज़ाइन ही इसका नतीजा है।
हाईवे पर बड़ा मोड़.
अब आते हैं सबसे बड़े मोड़ पर,जो कि हनुमानपुरा गांव के करीब 1 किलोमीटर दूर है। यहां बहुत ही घुमावदार रास्ता है, साथ ही टर्निंग इतनी छोटी है कि सामने से आने वाला वाहन नज़र ही नहीं आता। कुछ दिन पहले यहां भी एक एक्सीडेंट हुआ था।
कुचामन गेट से लेकर कुचामन रेलवे स्टेशन तक की दूरी करीब 7 किलोमीटर है, इस बीच इतने टर्निंग पॉइंट्स हैं कि हादसे होने का खतरा बढ़ गया है।
ट्रैफिक कर्मचारियों की कमी.
कुचामन सिटी.जहां की सड़कें दिन भर व्यस्त रहती हैं ऐसे में यहां एक और समस्या है, जो कि ट्रैफिक व्यवस्था की है। ट्रैफिक पुलिस के नाम पर दो-तीन कर्मी हैं जो पूरे शहर की ट्रैफिक व्यवस्थाओं को संभालते हैं? ऐसा नहीं किया जा सकता।
एक लॉयन सर्कल के अलावा शहर में ट्रैफिक कर्मचारी कहीं नहीं है। नया बस स्टैंड हो या अन्य मुख्य जगहें जहां अक्सर जाम लगते हैं, वहां आपस में ही लोग वाहन आगे पीछे करके निकल लेते हैं। बड़े ही सज्जन लोग हैं कुचामन सिटी के।
बजट आते हैं हर साल, लेकिन इन समस्याओं पर न तो प्रशासनिक अधिकारी ध्यान देते हैं, न ही जन प्रतिनिधि।