कुचामनसिटी से हेमंत जोशी की खास रिपोर्ट।
कुचामन नगरपरिषद के लिए भाजपा सरकार की ओर से 19 अगस्त मंगलवार को अपराह्न 3 बजे बाद लगातार दो आदेश जारी हुए। पहला आदेश कांग्रेस के सभापति आसिफ खान को निलंबित करने का था, दूसरे आदेश में उपसभापति हेमराज चावला को निलंबित किया।
जिसकी चर्चाएं पूरे शहर में थी। यह राजनीतिक लड़ाई का एक बड़ा हथियार था, जो भाजपा ने चलाया।


भाजपा के पार्षद पिछले 6 माह से सभापति को हटाने के लिए दर्जनों शिकायतें कर चुके थे, लेकिन सभापति कहीं गलत साबित नहीं हुए। आखिरकार एक जमादार की पदोन्नति का कारण बताकर उन्हें पहले नोटिस दिया गया। इसी दौरान उनके निलंबन की तैयारी भी की गई। लेकिन विधिक सलाहकारों ने बताया कि सभापति को निलंबित करने पर कार्यभार उपसभापति को मिलेगा।

भाजपा के समस्या यह हो गई कि वह जिस कांग्रेसी सभापति को हटाना चाहती है तो उपसभापति भी कांग्रेसी है, इसलिए दोनों को हटाने पर ही किसी भाजपा पार्षद को कुछ दिनों का सभापति बनाया जा सकता है।


इसके बाद आनन फानन में उपसभापति का प्रकरण भी तलाश किया गया। उन्होंने एक पट्टा बनवाया, जिसको मास्टरप्लान के विपरीत बताकर उसका प्रकरण तैयार कर निलंबित कर दिया गया।
विभाग ने उच्च न्यायालय में लगाई केविएट
विभाग ने निलंबन आदेश के साथ ही उच्च न्यायालय में केविएट भी लगवाई है। जिससे बिना विभाग का पक्ष सुने स्थगन आदेश ना दें, ऐसे में एक लंबी न्यायिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। लंबी न्यायिक प्रक्रिया तक भाजपा (आचार संहिता लागू होने तक) अपना सभापति बना ले।
इस कार्रवाई से भाजपा सरकार क्षेत्र में 2 संदेश देना चाहती है पहला हिंदूवादी विचारधारा और दूसरा पार्टी विचारधारा।
इस संदेश के बीच एक दलित नेता हेमराज चावला को हटाया गया है, जो कि कभी महेंद्र चौधरी के सामने भी चुनाव लड़ चुका है, इसके बावजूद कांग्रेस ने उन्हें उपसभापति बनाया।

हाइब्रिड सभापति बने थे आसिफ –
आसिफ खान ने पार्षद का चुनाव नहीं लड़ा था। ना ही वह परिषद के निर्वाचित पार्षद है। उन्होंने हाइब्रिड तरीके से सीधे कांग्रेस से सभापति के लिए नाम निर्देशन भरा और उसके बाद पार्षदों के समर्थन से वह सभापति बने। दरअसल आसिफ खान जब सभापति बने तब कांग्रेस में बहुमत नहीं था।
ऐसे बने थे सभापति
कांग्रेस के पास 20 पार्षद और 2 कांग्रेस समर्थित निर्दलीय पार्षद थे। वहीं भाजपा के पास 18 पार्षद और 5 निर्दलीय भाजपा समर्थित पार्षद थे। भाजपा में भीतरघात से ही वह कांग्रेस से सभापति बने। इसकी टीस की भाजपा को खा रही थी। इसी भीतरघात का बदला लेने के लिए भाजपा पार्षद पिछले 6 माह से सभापति को पद से हटाने की कवायद कर रहे थे।

कुचामन नगर परिषद में सियासी भूचाल
भाजपा के सामने सबसे बड़ा सियासी भूचाल तब आएगा जब भाजपा आगामी परिषद के चुनाव में जनता के बीच जायेगी। तब लोग सवाल करेंगे कि आखिर भाजपा सरकार बने 2 साल हो गए फिर 2 महीने सभापति को पहले क्यों नहीं हटाया गया। नया सभापति हमारे समाज से क्यों नहीं बनाया। हम तो भाजपा के कोर वोटर है, हमें मौका क्यों नहीं दिया गया। ऐसे कई सवाल अब भाजपा की झोली ने आने वाले है।
यह सब कुचामन के इतिहास में पहली बार हुआ –
राजस्थान का पहला हाइब्रिड नगरपालिका अध्यक्ष और फिर सभापति बना। इसी कार्यकाल में कुचामन में नगर परिषद बनी। पहली बार 45 वार्ड बने। आसिफ खान पहले सभापति बने। कुचामन में पहली बार सभापति के निलंबित के आदेश आए। पहली बार ऐसा हुआ कि आदेश से पहले ही सभापति ने अपनी सरकारी गाड़ी विभाग को वापस सुपुर्द कर दी।
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