RLP न्यूज: हेमन्त जोशी.राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) RLP का अब राजस्थान में एक भी विधायक नहीं है और ना ही विधानसभा चुनाव में RLP को 8 प्रतिशत वोट मिले हैं। ऐसे में अब केवल पार्टी के पास एक सांसद खुद हनुमान बेनीवाल है।
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लेकिन फिर भी हनुमान बेनीवाल ने अपनी साख बचा रखी है।
क्योंकि उन्होंने अपने बयान में कहा था कि उनके हाथ से केवल MLA की सीट गई है MP तो वो अभी भी है। इसी कारण से उनकी पार्टी की मान्यता रद्द होने का खतरा टल गया है।
सांसद की सीट ने बचाया हनुमान बेनीवाल की पार्टी का अस्तित्व
हनुमान बेनीवाल रालोपा से ही सांसद निर्वाचित है। लेकिन उपचुनाव में उनका गढ़ रही खींवसर विधानसभा सीट पर उनकी हार के बाद अब राजस्थान की विधानसभा में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) शून्य हो गई है।
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ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि क्या एक सांसद की सीट बचा सकती है, RLP की मान्यता ?आइए जानते है, चुनाव आयोग का नियम
इस सवाल की जानकारी जुटाने के लिए हमने निर्वाचन विभाग की वेबसाइट खंगाली तो सामने आया कि यदि चुनाव आयोग के तय नियम के अनुसार मान्यता बनाए रखने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम एक सीट जीतनी चाहिए और कुल वोट शेयर का आठ प्रतिशत हासिल करना चाहिए।
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न्यूज: अगर ऐसा नहीं हुआ तो दो और विकल्प है कि छह फीसदी वोट के साथ दो सीटें जीतनी चाहिए या तीन फीसदी वोट के साथ तीन सीटें जीतनी चाहिए। इसके अलावा 25 लोकसभा सीट पर एक लोकसभा की सीट होनी चाहिए, अगर इनमें से कोई भी शर्त पूरी नहीं होती है तो चुनाव आयोग पार्टी की मान्यता रद्द कर सकता है। ऐसे में rlp पार्टी के पास एक सांसद की सीट है। जिसके चलते रालोपा की मान्यता पर कोई ख़तरा नहीं है।
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चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को मिलने वाली सुविधाएं
- विशेष चुनाव चिन्ह आवंटन: मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी को एक विशेष चुनाव चिन्ह आवंटित किया जाता है, जिसे अन्य दल उपयोग नहीं कर सकते।
- नामांकन के लिए प्रस्तावक: राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को उम्मीदवारों का नामांकन दाखिल करने के लिए केवल एक प्रस्तावक की आवश्यकता होती है।
- मतदाता सूची की प्रति: मान्यता प्राप्त दलों को चुनाव आयोग से मतदाता सूची के संशोधन के दौरान दो सेट मुफ्त में मिलते हैं, और उनके उम्मीदवारों को भी एक प्रति बिना शुल्क के प्रदान की जाती है।
- पार्टी कार्यालय के लिए भूमि या भवन: मान्यता प्राप्त दलों को पार्टी कार्यालय स्थापित करने के लिए सरकार से भूमि या भवन प्राप्त करने की सुविधा मिलती है।
- स्टार प्रचारक की अनुमति: राज्य और राष्ट्रीय स्तर के दलों को चुनाव प्रचार के दौरान 40 तक स्टार प्रचारक रखने की अनुमति होती है, जबकि अन्य दलों को 20 स्टार प्रचारक तक रखने की अनुमति होती है। स्टार प्रचारकों द्वारा की जाने वाली यात्रा का खर्च उम्मीदवारों के चुनावी खर्च में नहीं जोड़ा जाता।
- प्रचार प्रसार की अनुमति: इन दलों को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर टेलीविजन और रेडियो पर प्रचार प्रसारण की अनुमति मिलती है, ताकि वे अपनी विचारधारा और कार्यक्रमों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकें।
रालोपा रही काफी पीछे
रालोपा राजस्थान कोई सीट जीतने में भी नाकामयाब रही है। ऐसे में चुनाव आयोग एक स्वतंत्र निकाय है और इस मामले पर फैसला ले सकता है। वह रालोपा को नोटिस भेजकर उसकी मान्यता रद्द कर सकता है।
पार्टी के नाम का क्या होगा?
अगर पार्टी की मान्यता रद्द कर दी जाती है तो वह बोतल के अपने आरक्षित चुनाव चिह्न की हकदार नहीं होगी और इसके बजाय उसे अगले चुनाव के लिए उपलब्ध चुनाव चिह्न चुनना होगा। हालांकि, पार्टी के नाम पर इसका असर नहीं पड़ेगा।
गौरतलब है कि 2018 में RLP के चुनावी राजनीति में प्रवेश करने के बाद यह पहली बार है, जब हनुमान बेनीवाल की पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही है।
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मान्यता मिलने के बाद 2018 में पहली बार हुए चुनाव में पार्टी ने 3 सीटें जीती थीं। 2023 के विधानसभा चुनावों में 1 हनुमान बेनीवाल विधायक बनें थे। जो बाद में लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हो गए और यह सीट खाली हो गई। जिस पर रालोपा प्रत्याशी कनिका बेनीवाल प्रत्याशी थी जो चुनाव हार गई। ऐसे में पार्टी के पास एक मात्र सांसद की सीट बची है। जिसके चलते रालोपा की मान्यता पर कोई ख़तरा नहीं है।
खींवसर में पार्टी की हार के बाद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि आरएलपी हमेशा किसान और 36 कौम के लिए संघर्ष करती रहेगी।
दरअसल महाराष्ट्र में हुए हाल ही विधानसभा चुनावों में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) भी इस चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई है। मनसे का वोट शेयर भी 1.55 प्रतिशत था। इस नतीजे के कारण राज ठाकरे की पार्टी की भी मान्यता रद्द हो सकती है। चुनाव आयोग उनका सिंबल छीन सकता है।