नबी की शान में नात और कलाम प्रस्तुत किए गए:
लुहारिया बास से शुरू हुआ जुलूस आथुरणा दरवाजा पर जलसे में परिवर्तित हो गया। वहां उलमाओं ने पैगंबर मोहम्मद की शान में नात और कलाम पेश किए। इस अवसर पर हजरत मोहम्मद साहब के बताए रास्ते पर चलने और प्रेम, भाईचारा व सद्भाव बनाए रखने के संदेश दिए गए। देश में अमन, शांति और खुशहाली के लिए दुआएं मांगी गईं। बारह बफात कमेटी का मुख्य जुलूस लुहारिया मोहल्ले से प्रारंभ होकर मुख्य बाजार, पुरानी धान मंडी, नया शहर, सीकर रोड होते हुए पुनः लुहारिया मोहल्ले पर समाप्त हुआ, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए।
बारावफात का जुलूस क्यों निकाला जाता है?
अयुब शेख ने बताया कि ईद-ए-मिलाद के रूप में जाना जाने वाला मिलाद-उन-नबी, पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह उत्सव मुहम्मद के जीवन और उनकी शिक्षाओं की याद दिलाता है। मिलाद-उन-नबी इस्लामी पंचांग के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है। हालांकि यह जन्मदिन एक खुशी का अवसर है, लेकिन यह दिन शोक का भी होता है क्योंकि इसी दिन पैगंबर मोहम्मद की मृत्यु भी हुई थी।
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