Friday, November 1, 2024
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दुर्लभ सिक्कों, कागजी मुद्रा, टिकटों और चित्रों की प्रदर्शनी आयोजित

पुराने सिक्कों और कागजी मुद्राओं का संकलन करते हैं सागर चौधरी

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हेमंत जोशी @ कुचामनसिटी। पुराने सिक्कों, कागजी मुद्रा, राजकीय टिकटों का संकलन भी ऐसा जिसमें 300 साल पुराने सिक्के और नोट भी शामिल है। विभिन्न देशों की अलग अलग मुद्रा भी इस संकलन में सम्मिलित है।

यह संकलन करने वाले है टैगोर ग्रुप की ओर से संचालित ट्राइडेंट होटल मैनेजमेंट के निदेशक सागर चौधरी। चौधरी ने अपने संकलन की एक प्रदर्शनी रखकर बच्चों और अन्य लोगों को दिखाई। इस संकलन को देखकर सभी लोग अभिभूत हो गए।

मुद्राएं हमें हमारे इतिहास से रूबरू कराती हैं। ये मानव सभ्यता के क्रमिक विकास को समझने में मदद करती हैं। इस प्रदर्शनी में मुगल कालीन समय से लेकर आधुनिक काल की मुद्राओं का प्रदर्शन किया गया। जिसमें तांबा, सोना, चांदी, एल्युमिनियम जैसी धातुओं से बने सिक्कों की प्रदर्शनी लगाई गई है।

एक दिवसीय प्रदर्शनी आयोजित  की गई। जिसमें तीन सौ साल से अधिक पुराने भारतीय सिक्के और मुद्रा प्रदर्शित की गई।

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करीब 25 स्टॉल और लगभग 100 संग्रह सिक्कों, कागजी मुद्रा, टिकटों, पेंटिंग और अन्य वस्तुओं का एक मिश्रित बैग पेश किया जो न केवल कलाकृतियां हैं बल्कि ऐतिहासिक दुर्लभ वस्तुएं हैं।

संकलन कर्ता सागर चौधरी ने कहा कि जो संग्रह और बिक्री दोनों करते हैं, कहते हैं कि प्रत्येक संग्रहकर्ता का या तो एक विशेष क्षेत्र होता है या एक विशिष्ट रुचि होती है। किसी को केवल मुगल मुद्रा में रुचि हो सकती है। गुप्त काल पर कोई और नजर डाल सकता है मैंने हमेशा ब्रिटिश भारत की मुद्राओं पर ध्यान केंद्रित किया है।

मेरे पास 1835 से 1947 के बीच जारी किए गए धातु के सिक्कों से लेकर कागजी मुद्रा तक सब कुछ है। उन्होंने बताया कि उन्हें 13 साल लगे इन सभी को संग्रह करने में कहा कि एक थीम चुनना और नोट्स एकत्र करना शौक में और अधिक उत्साह जोड़ता है।

उन्होंने कहा मैंने कभी देश नहीं छोड़ा, लेकिन मेरे पास 213 देशों के करेंसी नोट हैं जिनमें  ऐसे देश भी शामिल हैं जो अब अस्तित्व में नहीं हैं। यह केवल दुनिया भर में यात्रा करने वाले दोस्तों  रिश्तेदारों ओर बुजुर्गों के कारण संभव है।

हजारों प्राचीन सिक्के और नोट का वह समुद्र हैं जो अपना अपना खास इतिहास व समयकाल लिए हुए दर्शकों को चौका रहा है। विशेष बात कि इनमें  दो से ढाई हजार वर्ष पूर्व की दुर्लभ मुद्राएं अपनी खास चमक लिए हुए मौजूद हैं।

आजादी पूर्व राजा महाराजाओं  मुगल शासक बादशाह व सुल्तानों के राज में चलन में रहीं मुद्राओं का आकर्षक तो यहां है ही। आजादी के बाद देश में सिक्कों की विविधता से यहां साक्षात्कार होने का मौका मिल रहा है। विशेष तौर पर 300 डालर का आस्ट्रेलिया सिक्का दर्शकों को चमत्कृत कर रहा है, जिसका वजन 10 किलोग्राम है और वर्तमान भारतीय मूल्य तकरीबन लाखो रुपए है।

इन स्टालों पर प्राचीन काल की मुद्राएं मुगल व अंग्रेजों के समय के सिक्के व नोट हैं। एक स्टाल पर वर्ष 1917 में छपा एक रुपए का भारतीय नोट भी हैं। इस नोट में कीमत पंजाबी तमिल गुजराती व तेलगु समेत कुल आठ भाषाओं में लिखा गया है।

कई ऐतिहासिक आंदोलनों के वक्त की चलन वाली मुद्राएंं भी यहां प्रदर्शित हैं। इसमें वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर वर्ष 1859-60 का नील विद्रोह व पंजाब में हुए कूका आंदोलन की मुद्राएं प्रमुख हैं।
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