बाग के गणेश मंदिर में विराजित है प्रतिमा
स्वप्न में आने के बाद बावड़ी से निकाली मूर्ति, मेला महोत्सव कल
अरुण जोशी@ नावांशहर। शहर का सबसे प्राचीन गणेश मंदिर, जिसकी प्रतिमा बावड़ी से निकालकर मंदिर में विराजमान की गई थी।
मंदिर के पुजारी भेरुदत्त मिश्रा ने बताया कि लगभग डेढ सौ वर्ष पूर्व हमारे पूर्वज वल्लभदास मिश्र बावडी में नितकर्म पूजा अर्चना करते थे। पूर्वजों की कथा अनुसार उनके स्वप्र में भगवान गणेश ने दर्शन दिए तथा बताया कि बावड़ी से उन्हें बाहर निकाला जाए। इसके पश्चात जब वल्लभदास मिश्र सुबह बावड़ी पंहुचे तो भगवान गणेश की मूर्ति का मुकुट मिट्टी से बाहर दिखाई दे रहा था।
इसके पश्चात मूर्ति को बाहर निकालकर पास ही विराजमान कर छोटा मंदिर बनाया गया। जो कि आज बाग के गणेश मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर के पास आज भी बावड़ी बनी हुई है जो कि अब जमीदोज हो गई है। कई वर्षो पूर्व बावड़ी जमीदोज हो गई उससे पूर्व नावां की बावड़ी पानी से भरी रहती थी तथा लोग यहां पानी भरने के लिए आया करते थे। पुजारी भेरुदत्त मिश्रा ने बताया कि इस मंदिर में जो भी याचक अपनी याचना लेकर आता है वह कभी भी निराश नहीं होता है।
गणेश चतुर्थी पर होता है मेला महोत्सव