अकीदत और गमगीन माहौल में कल मनाया जाएगा मुहर्रम , ढोल-ताशों की मातमी धुनों के साथ निकलेंगे छह ताजिए
कुचामनसिटी। इस्लाम धर्म के आखिरी पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की कर्बला के मैदान में दी गई शहादत की याद में कल कुचामन शहर में मुहर्रम का पर्व पारंपरिक श्रद्धा, अकीदत और गमगीन माहौल के साथ मनाया जाएगा। मुहर्रम के पहले शनिवार की रात को कत्ल की रात मनाई गई।

मदरसा इस्लामिया सोसायटी के सदर मोहम्मद सलीम कुरैशी और सचिव मोहम्मद इकबाल भाटी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष भी कुचामन शहर में मोहर्रम पर परंपरा के अनुसार कुल छह ताजिए निकाले जाएंगे। ये ताजिए लुहारान, न्यारियान, पलटन गेट, घाटी कुआं, व्यापारी मोहल्ला और छीपा मोहल्ला की ओर से बनाए गए हैं।


कत्ल की रात को निकाले गए ताजिए, गूंजीं मातमी धुनें
शनिवार रात को “कत्ल की रात” के मौके पर ताजियों को नगर भ्रमण के लिए निकाला गया। ढोल-ताशों की मातमी धुनों और या हुसैन की सदाओं के बीच माहौल पूरी तरह से ग़म में डूबा नजर आया। विभिन्न मोहल्लों से निकले ताजिए जुलूस के रूप में शहर के अलग-अलग हिस्सों से होते हुए मुकाम स्थल तक पहुंचे।
अकीदतमंदों ने मांगी मन्नतें, चढ़ाए सेहरे
इससे पहले शनिवार शाम को ताजियों के मुकाम पर पहुंचने के बाद बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने पहुंचकर दुआएं मांगी। जिनकी मन्नतें पूरी हुईं, उन्होंने ताजियों पर सेहरे चढ़ाकर शुक्राना अदा किया। महिलाओं और बच्चों की भी बड़ी संख्या में मौजूदगी रही।

शांति और सौहार्द का संदेश
मदरसा इस्लामिया सोसायटी के मोहम्मद सलीम मणियार ने बताया की मोहर्रम का यह पर्व भले ही ग़म का प्रतीक है, लेकिन यह शांति, बलिदान और इंसानियत की रक्षा के लिए डट जाने के जज़्बे की मिसाल भी देता है। कुचामन में हर साल की तरह इस वर्ष भी यह पर्व सभी समुदायों के आपसी भाईचारे, सौहार्द और अनुशासन के साथ मनाया जाएगा । इस मौके अपर प्रशासन द्वारा भी सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं।