परबतसर. बिजली विभाग की लापरवाही उपभोक्ता पर भारी पड़ने वाली थी, लेकिन उपभोक्ता आयोग ने न सिर्फ राहत दी, बल्कि विभागीय मनमानी पर सख्त टिप्पणी करते हुए संबंधित कर्मचारी से राशि वसूली का आदेश दिया है।

दरअसल, परबतसर निवासी तारादेवी बंजारा द्वारा दर्ज परिवाद में आयोग ने बिजली निगम को निर्देश दिए हैं कि उपभोक्ता से जबरन वसूले जाने वाले 76,804 रुपए के बिल को निरस्त किया जाए और मानसिक, आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में 50,000 रुपए एवं परिवाद व्यय 7,000 रुपए 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा किए जाएं।


तारादेवी ने एडवोकेट डॉ. पवन श्रीमाली के माध्यम से आयोग में परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि सितंबर 2016 में घरेलू मीटर के 90% धीमे चलने का हवाला देते हुए विभाग ने पहले 78,623 रुपए का बिल थमाया और बाद में असेसमेंट के आधार पर 76,804 रुपए की राशि तय कर दी गई। इस पूरी प्रक्रिया में न उपभोक्ता को कोई पूर्व सूचना दी गई और न ही उसकी सहमति या हस्ताक्षर लिए गए। मीटर की जांच रिपोर्ट भी बिना किसी ठोस साक्ष्य के कार्यालय में बैठकर तैयार की गई।
27 अप्रैल 2022 को नागौर उपभोक्ता मंच ने बिल की राशि निरस्त करने के निर्देश दिए थे। बाद में निगम द्वारा राज्य आयोग में अपील की गई, लेकिन दस्तावेजों की जांच के बाद आयोग ने दोबारा सुनवाई करते हुए उपभोक्ता के पक्ष में निर्णय सुनाया।

महत्वपूर्ण बात यह रही कि आयोग ने यह भी आदेश दिया कि 50 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति की राशि निगम को नहीं, बल्कि उस कर्मचारी-अधिकारी के वेतन या संपत्ति से वसूली जाए जिसने यह मनमानी की, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो।
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