कुचामन सिटी. जिला चिकित्सालय और मातृ एवं शिशु चिकित्सालय की भूमिका और संचालन पद्धति अलग है। जिला चिकित्सालय एक सामान्य चिकित्सा इकाई होती है, वहीं मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों से जुड़ी चिकित्सा सेवाएं दी जाती हैं।

दोनों संस्थानों के संचालन, स्थान और आवागमन की ज़रूरतें भी भिन्न हैं, इसलिए इनके लिए अलग-अलग भूमि का चयन किया गया है।


कुचामन सिटी में यह मांग उठाई गई कि मातृ एवं शिशु चिकित्सालय का निर्माण भी उसी स्थान पर किया जाए जहाँ जिला चिकित्सालय प्रस्तावित है। जबकि जिला चिकित्सालय की भूमि महज 24 बीघा है, जहां केवल जिला चिकित्सालय ही बन सकता है। अब मातृ एवं शिशु चिकित्सालय के लिए 18 बीघा भूमि की अलग आवश्यकता होने पर प्रशासन द्वारा भूमि दान में ली गई है।
अब प्रशासनिक जानकारी और भामाशाहों के सहयोग से यह स्पष्ट हो चुका है कि दोनों चिकित्सालय अलग-अलग चिकित्सा इकाइयाँ हैं और दोनों के लिए अलग-अलग भूमि की आवश्यकता थी। दोनों चिकित्सालयों की प्रकृति और ज़रूरतें अलग हैं।
जिला चिकित्सालय: शाकंभरी माता मंदिर के पास प्रस्तावित
जिला चिकित्सालय के लिए शाकंभरी माता मंदिर के पास 24 बीघा भूमि प्रस्तावित है। यह भूमि जमीन की सतह के बराबर है, लेकिन यहाँ तक पहुंचने का मुख्य मार्ग मात्र 30 फीट चौड़ा है। साथ ही, इस स्थान पर चिकित्सालय के लिए कोई स्पष्ट प्रवेश मार्ग अभी तक उपलब्ध नहीं है। यह सरकारी भूमि पहले से स्वास्थ्य विभाग को आवंटित की जा चुकी है।
मातृ एवं शिशु चिकित्सालय: भामाशाह की दी गई जमीन
मातृ एवं शिशु चिकित्सालय के लिए 18 बीघा भूमि भामाशाह राजकुमार माथुर द्वारा दान दी गई है। यह भूमि न तो डूब क्षेत्र में है और न ही बहाव क्षेत्र में। यह जगह जमीन की सतह से लगभग 15 फीट ऊँचाई पर है और यहाँ 80 फीट चौड़ा मुख्य मार्ग है। इसके अलावा चार अलग-अलग रास्तों से इस स्थल तक पहुंचने की सुविधा होगी। यह स्थान जिला चिकित्सालय से केवल 1 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित है।
सरकारी निर्माण और भामाशाह का योगदान
राजकुमार माथुर ने बताया कि इस चिकित्सालय का निर्माण सरकार द्वारा कराया जाना प्रस्तावित है और यह हर दृष्टिकोण से जनहित में है।
कुचामन सहित आस-पास के ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले महिलाओं और बच्चों को इस चिकित्सालय से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त होगी। उनका यह भी कहना है कि उन्होंने यह भूमि जनसेवा की भावना से दी है और इसके पीछे कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं है।
शहरी क्षेत्र के लिए सिटी डिस्पेंसरी का प्रस्ताव- शहरी क्षेत्र में वर्तमान चिकित्सालय भवन में डिस्पेंसरी का संचालन प्रस्तावित है। इससे शहरी निवासियों को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं यथावत मिलती रहेंगी और किसी प्रकार की असुविधा नहीं होगी।
यातायात और पहुंच के दृष्टिकोण से उचित निर्णय
प्रशासन ने यह निर्णय कुचामन सिटी. की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिया है। शहर की तंग गलियों, यातायात के दबाव और बढ़ती भीड़ को देखते हुए बड़े चिकित्सालयों को हाईवे से जुड़े क्षेत्रों में बनाना अधिक व्यावहारिक और सुविधाजनक रहेगा। इससे मरीजों को समय पर इलाज और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएंगी।
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