कुचामन सिटी. एक बच्चा उस समय बड़ा हो गया जब उसने अपने परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ अपने कंधों पर उठाना शुरू किया।

बचपन की मस्ती और खेल कूद को छोड़कर वह अब परिवार के लिए कुछ पैसे जुटाने के लिए काम पर लग गया था।


आज इस बच्चे का जन्मदिन था, लेकिन उसे अपनी खुशियों से ज्यादा अपनी जिम्मेदारियों की चिंता थी। वह कुचामन सिटी के बाजार में 5 रुपए के पेन बेच रहा था। जिस किसी ने उसे देखा उनके दिल में दया जाग उठी लेकिन वह बच्चा अपनी मेहनत से कमाकर खुशी से जीवन जीने की कोशिश कर रहा था।
आज जब वह अपने जन्मदिन पर सड़कों पर पेन बेचने निकला, उसे यह उम्मीद नहीं थी कि इस दिन का पल उसके लिए कभी न भूलने वाला बन जाएगा। वह बाजार में घूमते हुए लोगों से पेन खरीदने की अपील कर रहा था। कुछ ने पेन खरीदी, कुछ लोग बिना रुके चले गए। इसके बाद वह पास में एक प्रिंटर की दुकान में गया। सोचा होगा कि शायद दुकानदार कुछ पेन खरीद लेगा।
दुकान में जाते ही उसने दुकानदार अरुण पाराशर से कहा कि अंकल पेन खरीद लो। अरुण ने बच्चे से कुछ पेन खरीद लीं। जब वह बच्चा दुकान से जाने लगा तो उसने बताया कि आज मेरा जन्मदिन है। अरुण ने बच्चे की मासूमियत को देखा और तुरंत कहा कि अच्छा, तो फिर जन्मदिन मनाते हैं! इसके बाद अरुण ने दुकान से एक केक मंगवाया।
केक देखकर बच्चे के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई, और अरुण के साथ उनकी दुकान के स्टाफ ने मिलकर उसका जन्मदिन मनाया। केक खाने के बाद बच्चे ने कहा कि अब इसे घर जाकर अपने भाई के साथ शेयर करूंगा। यह पल उस बच्चे के लिए एक अनमोल याद बन गया।
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