
कुचामन न्यूज: रेलवे स्टेशन पर हाल ही में विकास के नाम पर कई काम कराए गए, लेकिन ये विकास सिर्फ दिखावे तक सीमित रह गया।

स्टेशन पर ग्रेनाइट लगाया गया, टोंटियां भी नई लगाई गईं, लेकिन शायद रेलवे इन टोंटियों से पानी देना भूल गया।


यात्रियों को मजबूरन पानी खरीदना पड़ रहा है और यहां रेलवे की ओर से 15 रुपये में मिलने वाली रेल नीर की जगह किसी अन्य कंपनी की बोतल 20 रुपये में बेची जा रही है। इससे यात्रियों से 5 रुपये ज्यादा वसूले जा रहे हैं और यह साफ दर्शाता है कि स्टेशन पर भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है।
कुचामन वासियों ने बार-बार मांग उठाई कि कुचामन रेलवे स्टेशन को अमृत भारत योजना में शामिल किया जाए, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते कई छोटे स्टेशनों को इस योजना का लाभ मिल गया और कुचामन को फिर नजरअंदाज कर दिया गया।

इसके अलावा दक्षिण भारत की ओर जाने वाली एक भी ट्रेन का ठहराव कुचामन स्टेशन पर नहीं है। हजारों प्रवासी, मजदूर और विद्यार्थी जो लगातार सफर करते हैं, उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। रेलवे ने 6 ट्रेनों के ठहराव का प्रस्ताव रेल मंत्री को भेजा था, लेकिन अब तक इसका कोई नतीजा नहीं निकला।
रेलवे ने दोहरीकरण के दौरान कुचामन स्टेशन पर एफओबी (ऊपरी पैदल पुल) को स्वीकृत किया था, लेकिन इसे रद्द कर सब वे बना दिया गया। सब वे से प्लेटफार्म पार करना गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों, विकलांग व्यक्तियों और बीमार यात्रियों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है।
लगेज लेकर चलने वाले यात्रियों के लिए भी यह समस्या बनी हुई है। कई बार लोग ट्रेन छूटते देख पटरियों पर दौड़ने को मजबूर हो जाते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकता है।
स्टेशन पर लिफ्ट और एस्केलेटर की सुविधा भी अब तक नहीं दी गई है। कुचामन डिफेंस, इंजीनियरिंग और मेडिकल कोचिंग का हब बन गया है, लेकिन यहां अगर रेलवे पानी तक की सुविधा नहीं दे पा रहा तो बाहर से आने वाले विद्यार्थी और यात्री क्यों आएंगे? स्टेशन पर आरक्षण केंद्र भी है, लेकिन यह 11 किलोमीटर दूर स्थित है, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी होती है।

कुचामन वासियों का कहना है कि जब मकराना और अन्य स्टेशनों पर बेहतर सुविधाएं दी जा सकती हैं, तो कुचामन को इससे वंचित क्यों रखा जा रहा है?
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