
कुचामन न्यूज: विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री द्वारा डीडवाना को जिला मुख्यालय बनाने की सहमति देने के बाद से ही कुचामन को जिला मुख्यालय और जिला न्यायालय बनाने की माँग लगातार उठ रही है।

इसी सिलसिले में कुचामन अभिभाषक संघ के नेतृत्व में 11 मार्च को एक विशाल रैली निकाली गई, जिसमें अधिवक्ताओं के साथ बड़ी संख्या में आम नागरिक, व्यापारी संगठन, किसान संघ और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। रैली के दौरान एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया।


अधिवक्ता संघ का कहना है कि कुचामन को जिला मुख्यालय और न्यायालय बनाए जाने के सभी तर्कपूर्ण आधार मौजूद हैं। यहाँ न्यायालय के लिए पहले से भूमि उपलब्ध है, 300 से अधिक अधिवक्ता कार्यरत हैं, और भौगोलिक दृष्टि से यह क्षेत्र का केंद्र है।
वहीं, डीडवाना में भूमि की कमी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव को देखते हुए वहाँ जिला मुख्यालय और न्यायालय की स्थापना को अव्यवहारिक बताया जा रहा है।
अनिश्चितकालीन हड़ताल और उग्र आंदोलन की चेतावनी
कुचामन अभिभाषक संघ ने 21 फरवरी 2025 से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है, जिसे नावा, मकराना और परबतसर के अधिवक्ता संघों का भी पूर्ण समर्थन प्राप्त है। संघ ने स्पष्ट किया है कि जब तक सरकार कुचामन को जिला मुख्यालय और जिला न्यायालय बनाने की घोषणा नहीं करती, तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी।
अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी माँगों की अनदेखी की, तो जनांदोलन और तेज़ होगा। उन्होंने सरकार को आगाह किया कि यदि जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो आगामी चुनावों में इसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
कुचामन को जिला बनाने की ठोस तर्कसंगत माँग
कुचामन भौगोलिक, प्रशासनिक, न्यायिक, आर्थिक और ऐतिहासिक रूप से जिले के लिए उपयुक्त स्थान है। यह नावा, मकराना, परबतसर और कुचामन तहसीलों के केंद्र में स्थित है, जिससे सभी को सुगम प्रशासनिक और न्यायिक सुविधाएँ मिल सकती हैं। यहाँ 1000 से ज्यादा बीघा सरकारी भूमि उपलब्ध है।
जबकि डीडवाना में भूमि की भारी कमी है। न्यायिक दृष्टि से 300 से ज्यादा अधिवक्ता पहले से कार्यरत हैं, और पूर्व में न्यायालय के लिए भूमि आवंटित है। औद्योगिक, व्यापारिक और शैक्षणिक रूप से विकसित होने के कारण यह पूरे क्षेत्र के आर्थिक विकास को गति देगा। ऐतिहासिक रूप से भी कुचामन प्रशासनिक एवं न्यायिक केंद्र रहा है। इन सभी तर्कों को देखते हुए कुचामन को जिला बनाना पूरी तरह न्यायसंगत और व्यावहारिक निर्णय होगा।
जनता और संगठनों का पूर्ण समर्थन
इस आंदोलन को व्यापार मंडल, सामाजिक संगठन, युवा संघटन और आम जनता का भी व्यापक समर्थन मिल रहा है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह केवल कुचामन की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारों की माँग है।
आंदोलन के अगले कदम
अगर सरकार माँगें नहीं मानती, तो राष्ट्रीय राजमार्गों पर चक्का जाम, न्यायिक कार्यों का बहिष्कार और प्रशासनिक अवरुद्धकरण किया जाएगा। सभी सामाजिक, व्यापारिक और किसान संगठनों के साथ बड़े स्तर पर प्रदर्शन होंगे।
यदि फिर भी निर्णय नहीं लिया गया, तो विधानसभा और लोकसभा चुनावों में सरकार के खिलाफ जनअभियान चलाकर विरोध दर्ज कराया जाएगा। आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक न्यायसंगत निर्णय नहीं लिया जाता।
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