Friday, December 27, 2024
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कुचामन न्यूज़: प्रदूषण एक बड़ा खतरा: सांभर झील में शुरू हुआ प्रवासी पक्षियों की मौत का सिलसिला

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कुचामन न्यूज़: राजस्थान में जयपुर, नावां सिटी और कुचामन सिटी में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 तक पहुंच गया है जो खतरे को दर्शाता है।

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इसके साथ ही भारत की सबसे विशाल खारे पानी की झील सांभर एक बार फिर पक्षियों की मौत का कारण बन रही है। सरकार द्वारा इसके संरक्षण के प्रति लापरवाही के चलते प्रदूषण में वृद्धि हो रही है।

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नावां की सांभर झील: प्रदूषण से पक्षियों की मौत

सांभर झील जो 190 किलोमीटर लंबी और 22.5 किलोमीटर चौड़ी है जयपुर अजमेर और नागौर के बीच स्थित है। इसका जल ग्रहण क्षेत्र 1996 में 5,707.62 वर्ग किलोमीटर था जो 2014 में घटकर 4,700 वर्ग किलोमीटर रह गया।

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झील में बढ़ते प्रदूषण ने पक्षियों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। हाइपर न्यूट्रिनिया जिसमें सोडियम की अधिकता होती है पक्षियों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर रही है जिसके परिणामस्वरूप उनकी मौत हो रही है। इसके अलावा एवियन बॉटुलिज्म के जीवाणु भी विकसित हुए हैं जो अन्य पक्षियों के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। स्थिति गंभीर है खासकर लम्पी ग्रस्त मवेशियों के अवशेषों के कारण।

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सांभर साल्ट लिमिटेड ने झील के कुछ हिस्सों को रिसॉर्ट और सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आवंटित किया है जिससे गंदा पानी मिल रहा है। विदेशी पक्षियों को ताजा मछली नहीं मिलती और वे गंदगी और मरे हुए मवेशियों का मांस खाने लगते हैं जिससे उनके इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाते हैं और वे विषाणुओं का शिकार बन जाते हैं।

वायु गुणवत्ता सूचकांक

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की बात करें तो जयपुर में आज यह 188 पर है। जो कुछ दिन पहले 200 से अधिक था। नावां सिटी में AQI 138 है। जबकि कुचामन सिटी में यह 130-150 की रेंज में बना हुआ है। यह स्थिति न केवल आम जनजीवन के लिए बल्कि इस पर्यावरण में रहने वाले अन्य जीवों के लिए भी एक गंभीर खतरा बन चुकी है।

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AQI रेंज और उनके अर्थ को जाने

0-50 (अच्छा): वायु की गुणवत्ता अच्छी है और स्वास्थ्य पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ता है।

51-100 (मध्यम): वायु की गुणवत्ता मध्यम है और कुछ संवेदनशील समूहों के लिए स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

101-150 (अस्वास्थ्यकर संवेदनशील समूहों के लिए): वायु की गुणवत्ता खराब है और संवेदनशील समूहों जैसे कि बच्चे, बुजुर्ग और अस्थमा रोगियों के लिए स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

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151-200 (अस्वास्थ्यकर): वायु की गुणवत्ता बहुत खराब है और सभी के लिए स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

200 से अधिक (बहुत अस्वास्थ्यकर): वायु की गुणवत्ता खतरनाक है और सभी के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

जयपुर की अगर बात करें तो वायु गुणवत्ता सूचकांक 27 सितंबर को 50-100 के रेंज में था। जबकि आज 27 अक्टूबर को यह 200-250 के स्तर पर पहुँच चुका है। इस प्रदूषण का मुख्य कारण पीएम 2.5, या सूक्ष्म कण पदार्थ है। 52% प्रदूषण इन सूक्ष्म कणों से ही होता है। जयपुर में PM2.5 निर्धारित मानक से 4 गुना ज्यादा है।

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PM2.5 से स्वास्थ्य पर असर 

PM2.5 के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव होते हैं। यह श्वास संबंधी समस्याएं जैसे दमा और खांसी, उत्पन्न करता है। इसके संपर्क में आने से हृदय रोग, जैसे दिल का दौरा और स्ट्रोक, का जोखिम भी बढ़ता है। लम्बे समय तक संपर्क में रहने से फेफड़ों का कैंसर हो सकता है। इसके अलावा ये कण आंखों में जलन और त्वचा संबंधी समस्याएं भी पैदा करते है।

PM2.5 हवा में कैसे फैलता है

PM2.5 हवा में कई स्रोतों से फैलता है। जैसे कि किसानों द्वारा फसलों का अवशिष्ट जलाना जो जहरीले कणों और धुएं का उत्सर्जन करता है। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में कचरे का अनुचित निस्तारण और वाहन उत्सर्जन भी इस समस्या को बढ़ाते हैं। औद्योगिक गतिविधियों से निकलने वाले प्रदूषक भी हवा को खराब करते हैं। इस तरह, विभिन्न मानवीय गतिविधियाँ मिलकर पीएम 2.5 के स्तर को बढ़ाती हैं। जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है।

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सर्वोच्च न्यायालय: फसलों का अवशिष्ट जलाने का मामला 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है और पर्यावरणीय समस्या है। केंद्र और राज्य सरकारों को इस मुद्दे पर उचित कदम उठाने के लिए फटकार लगाते हुए। न्यायालय ने किसानों को जागरूक करने और वैकल्पिक तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। साथ ही चेतावनी दी कि अगर सरकारें कार्रवाई नहीं करतीं। तो न्यायालय को स्वयं हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।

राजस्थान सरकार ने लांच किया एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम

भजनलाल सरकार ने हाल ही में एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम एक अत्याधुनिक प्रणाली का लांच किया है। जो 72 घंटे के लीड टाइम के साथ PM2.5, PM10 और मौसमी पैरामीटर के सटीक पूर्वानुमान प्रदान करती है। यह प्रणाली राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) की सहायता के लिए डिजाइन की गई है। जिससे प्रदूषण नियंत्रण में बेहतर निर्णय लेने में मदद मिल सकेगी।

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पर्यावरण राज्य मंत्री संजय शर्मा

पर्यावरण राज्य मंत्री संजय शर्मा ने विधानसभा में बताया कि राजस्थान के श्री गंगानगर और भिवाड़ी देश के सबसे प्रदूषित 10 शहरों में शामिल हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि एक नई समिति उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण के उपाय करने के लिए बाध्य करेगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाएगी।

यह समिति जो मुख्य पर्यावरण इंजीनियर की अध्यक्षता में गठित होगी। औद्योगिक क्षेत्रों का सर्वेक्षण करेगी और स्थानीय निवासियों से सुझाव लेगी। खनिज ग्राइंडिंग इकाइयाँ प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत हैं और इन्हें नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया है।

प्रशासन के प्रयासों के साथ-साथ जनता की जागरूकता भी बहुत महत्वपूर्ण है। यदि लोग प्रदूषण के कारणों और इसके प्रभावों के प्रति सजग हों तो वे बेहतर ढंग से समझ सकेंगे कि कैसे अपने दैनिक जीवन में बदलाव लाकर प्रदूषण को कम कर सकते हैं।

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