हेमंत जोशी @ कुचामनसिटी। Kuchaman: इंटरनेशनल जीरो वेस्ट डे 2024 के अवसर पर मिशन बरगद कुचामन द्वारा विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जोर इस बात पर दिया गया कि सभी को मिलकर एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए काम करना चाहिए, जहां कचरा कम हो और संसाधनों को महत्व दिया जाए।
Kuchaman: इस दिशा में खारिया व हिरानी ग्राम में स्थित बरगद गार्डन में पिछले कई दिनों से आसपास के क्षेत्र जैसे विभिन्न मंदिरों, महाविद्यालय, विद्यालय और कालोनियां से पेड़ पौधों के बेकार पत्तियां व नारियल के छिलके एकत्रित करके पौधों के चारों ओर बनाई गई रिंग में डाला जा रहा है। इस हेतु टीम के सक्रिय सदस्य डॉक्टर प्रदीप चौधरी रेडियोलॉजिस्ट द्वारा भी एक पहल की शुरुआत की गई।
जिसमें उन्होंने शहर में चुंगी नाके ( अहिंसा सर्किल) पर आयरन किओस्क रखवाया और जिसमे विभिन्न सॉलिड ऑर्गेनिक वेस्ट मटेरियल को एकत्रित करके पौधारोपण में खाद के रूप में लिया जाएगा। डॉक्टर चौधरी ने शहर में बढ़ते हुए प्लास्टिक डंपिंग यार्ड पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने आमजन से अपील की है कि प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग न करके कपड़े के बैग का उपयोग करें।
इन आयरन कियोस्क में सूखा कचरा डालने हेतु कियोस्क पर लिखे नंबर पर संपर्क किया जा सकता है। इस अवसर पर रमेश डोडवाडिया, रमजान और अन्य फ्रूट विक्रेताओं ने नारियल के खाली खोल कियोस्क में जमा करवाये जो पौधों के कॉकपिट बनाने में उपयोगी होंगे। सभी ने बरगद संरक्षण फाउंडेशन के निदेशक नेता राम कुमावत की कार्यों की प्रशंसा की। इस दौरान डॉ चौधरी ने जुट के बैग वितरित करके प्लास्टिक की थैलियां का उपयोग नहीं करने का संदेश दिया।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और UN हैबिटेट द्वारा आयोजित इस दिवस का उद्देश्य अपशिष्ट को जीरो के स्तर पर लाना और अपशिष्ट का रीसाइक्लिंग करना हैं।आज अंतरिक्ष से लेकर हिमालय की चोटियों और सागर की गहराइयों में कचरा सर्वव्यापी होता जा रहा ह।
बढ़ते हुए कचरे से निजात पाने के लिए और सतत विकास के लिए हर इंसान को रिफ्यूज, रिड्यूस , रीयूज, रिसाइकल की अवधारणा को अपनाना होगा साथ ही निकायों को भी वेस्ट सेग्रीगेशन और साइंटिफिक डिस्पोजल पर ध्यान दे कर जनता को पर्यावरण प्रदूषण से बचाना होगा।
जीएसटी निरीक्षक व पर्यावरण प्रेमी राजेश कुमावत ने बताया की ग्राम खारिया और हिरानी सहित कुचामन में वर्तमान में दो मुख्य समस्याओं पर काम कर रहे हैं एक तो कम पानी में पौधे को पेड़ कैसे बनाया जाए, दूसरी ओर आसपास में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थ का सदुपयोग कैसे किया जाए या अपशिष्ट का सही निपटान कैसे किया जाए। उन्होंने बताया कि यह कार्य वो बरगद संरक्षण फाउंडेशन खारिया की मिशन बरगद टीम के साथ मिलकर कर रहे हैं । उन्होंने डॉक्टर चौधरी द्वारा की गई पहल को सभी के लिए अनुकरणीय बताया।
उन्होंने बताया कि वर्तमान बसंत ऋतु में पेड़ पौधों के पत्ते को अधिकांश लोग जला रहे हैं जिसे न केवल खतरनाक पर्यावरण प्रदूषण होता है साथ ही बायोमास का भी नुकसान हो रहा है। इन पत्तों के जलाने से वातावरण में मेटल ऑक्साइड बढ़ रही है जो कहीं बीमारियों का कारण है। उन्होंने बताया कि हमें यह पत्तियां जलानी नहीं चाहिए इनको पौधों की जड़ों में ही डाल देनी चाहिए जिससे जल की खपत कम हो जाएगी और पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होगा।
इसके साथ ही कुचामन इमेजिंग एंड डर्मेटोलॉजी क्लिनिक के पास पौधारोपण कार्यक्रम भी रखा गया।