इस वर्ष पर्याप्त बरसात नहीं होने के कारण लाखों रुपए की बोई हुई फसल बर्बाद हो गई किसानों के पास काटने के लिए ना अच्छी फसल है और ना ही नई फसल की तैयारी के लिए पैसे
हेमन्त जोशी @ कुचामनसिटी। इलाके में इन दिनों खरीफ की फसलों की कटाई का काम शुरू हो गया है। किसान परिवार खेतों में नजर आ रहे हैं। किसानों की माने तो इस वर्ष जिले में बरसात के लंबे इंतजार के बाद खेतों में सुख कर टूटी हुई फसल को किसान इन दिनों समेटने में लग गए हैं।
पर्याप्त बरसात नहीं होने से बाजरे के सिट्टीयो में दाना तक नहीं बन पाया है। ऐसे में किसानों को उनकी मेहनत व लागत भी नहीं मिल रही है। किसान सरकार से मुआवजा दिलवाने की मांग कर रहे हैं। गोपालपुरा निवासी किसान परसाराम बुगालिया जाट ने बताया कि इलाके में शुरुआत में अच्छी बारिश थी। किसान कर्ज लेकर फसलों की बुवाई कर दी। मानसून से पहले बिपरजोय और प्रि-मानसून की बारिश का दौर चला। इसके बाद समय पर मानसून की बारिश हो जाने पर किसानों ने खरीफ की बुवाई कर दी।
जुलाई माह तक फसलों को पर्यप्त पानी मिलाने से बाजरा, गवार, मूंग, मोठ, तिल, मूंगफली की फसले बढ़ने लगी और फसल लहलाने से किसानों के चेहरों पर खुशी की लहर थी। लेकिन अगस्त महीने में बारिश का दौर थम गया। किसान बारिश का इंतजार करते रहे। सावन सूखा निकल गया।
ऐसे में खेतों में खड़ी फैसले पकने से पहले ही सूख गई। किसान परसाराम बुगलिया जाट, लक्षमण बुरड़क, हरीराम महला, हनुमानराम, मुनाराम महला, कमलकांत डोडवाड़िया, बिरमाराम बांगड़वा, झूमरमल बिजारणिया आदी किसानो ने बताया कि किसानों को विगत दो तीन वर्षों से खेती में लगो-लग नुकसान झेलना पड़ रहा है। इस बरस तो किसानों को खेती मे तगड़ा ही घाटा लगा है। किसानों के पास काटने के लिए अच्छी फसल भी नहीं है। जुलाई तक बाजरा, मूंग, मोठ, तिल, गवार, मूंगफली आदी फसले ठीक-ठाक थी। फसलों के पकाने का समय आया तो बरसात नहीं हुई।
लगभग एक महीने से भी अधिक समय तक बरसात नहीं होने के कारण फसलों की बढ़वार नहीं हुई तना कमजोर होने से टूटकर गिरने लगा। ऐसे में पैदावार में 60 से 70 प्रतिशत की कमी देखी जा रही है। जिसको लेकर किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आई है। किसान आर्थिक संकट में डूबे हुए हैं। कर्ज तले दबते जा रहे हैं। किसान मांग कर रहे हैं की केसीसी माफ की जानी चाहिए।
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