Friday, November 1, 2024
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सैकड़ों वर्षों से चली आ रही भगवान नृसिंह अवतार की लीला करने की परंपरा

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नृसिंह जयंती पर विशेष
धूमधाम से मनाई भगवान नृसिंह जयंती
अरुण जोशी. नावांशहर। शहर के पीपली बाजार स्थित भगवान लक्ष्मीनारायण मंदिर में गुरुवार को नृसिंह भगवान की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई । जयंती पर पूजा-अर्चना के साथ ही परंपरानुसार भगवान नृसिंह के अवतार की लीला की गई। मंदिर में सुबह भगवान विष्णु का अभिषेक कर पूजा अर्चना के बाद शाम को नृसिंह के अवतार की लीला का मंचन किया गया। मंदिर पुजारी व पार्षद उमाशंकर शर्मा ने बताया कि नृसिंह जयंती के अवसर पर प्रात: ठाकुरजी का अभिषेक कर पूजा अर्चना के बाद सामूहिक आरती की गई। जिसके बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया। शाम को भगवान नृसिंह के अवतार की लीला का मंचन किया गया। जिसमें भगवान नृसिंह रूप में भक्त प्रहलाद के बचाने व राक्षस हिरण्यकक्ष्यप का वध करने के लिए खंभ फाड़ कर प्रगट हुए। भगवान के प्रगटोत्सव पर सामूहिक आरती की गई। श्रद्धालुओं ने भगवान के अवतार के दर्शन करने के साथ ही चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया। लीला के बाद प्रसाद वितरित किया गया।
लगभग एक सौ वर्षों से चली आ रही परम्परा– पंडित उमाशंकर शर्मा ने बताया की नृसिंह जयंती पर भगवान के अवतार की लीला का प्रचलन लगभग एक सौ वर्षों से पुराना है। भगवान नृसिंह के अवतार की लीला देखने के लिए केवल शहर ही नहीं आस पास के गांवों से भी लोग आते हैं। लीला के दौरान यहां पर भीड़ नहीं, श्रद्धा का सैलाब उमड़ता है। बुजुर्गों की माने तो यह श्रद्धा का यह लीला का प्रचलन केवल वर्तमान में ही नहीं, बल्कि सैंकड़ों सालों से चलता चला रहा है। नृसिंह जयंती की तैयारियां भी पहले ही शुरू कर दी गई। भगवान विष्णु का पांचवा अवतार नृसिंह अवतार के रूप में पूजित है। प्राचीन काल से चली आ रही इस परंपरा को आज भी जीवित रखने में मंदिर के पंडित उमाशंकर का विशेष योगदान है। भगवान नृसिंह के अवतार की लीला सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है।

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सात धातु के मुखौटे के बाद अब काठ का लगाया जा रहा मुखौटा –
पूर्व में भगवान नृसिंह का मुखौटा सात धातु व वजन में काफी भारी बना हुआ था। जिसे लगाकर लीला की जाती थी। लोगों की मान्यता है की वह मुखौटा लगाने से लीला करने वाले व्यक्ति में जोश बहुत अधिक आता था। एक दुर्घटना एक बाद भगवान नृसिंह का मुखौटा कागज की लुगदी को कूटकर उसमें गुड गूगल दाना मेथी को ग्राइंड करके बनाया जाता था। जिसे पहनकर आज लीला की जाती है।
नृसिंह अवतार में पूंछ से लिया जाता आशीर्वाद –
भगवान नृसिंह अवतार के लीला के दौरान खंभ फाड़कर बाहर निकलने के बाद भगवान की पूंछ से लोगों को मार आशीर्वाद दिया जाता है। जिस पर लोग पूर्ण उत्साह के साथ पूछ से आशीर्वाद लेते है। नृसिंह रूप में व्यक्ति मंदिर के चारो ओर घूम कर लोगो को आशीर्वाद देते है। उसके पश्चात सामूहिक आरती की जाती है।

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