विमल पारीक. कुचामनसिटी। जिले सहित ग्रामीण क्षेत्रों में तेज धूप से जमीन तपने के साथ ही क्षेत्र के खेतों में खरीफ सीजन के लिए धरतीपुत्र किसानों ने कमर कस ली है। फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान अपने खेतों की ग्रीष्मकालीन जुताई में जुट गये है।
इन दिनों खेतों में हलचल दिखने लगी है। खेतों में ट्रैक्टर के माध्यम से ताई चला रहे है तो कोई हेरो चलाकर गहरी जुताई करते दिखाई दे रहे हैं। लेकिन कृषि यंत्र और डीजल महंगे होने की वजह से किसानों को खेतों की जुताई करना अब महंगी पड़ रही है। ट्रैक्टर से जुताई बुवाई करने से प्रति बीघा 1000 से 1500सौ तक खर्च हो रहा है। महंगे डीजल की वजह से किराए पर ट्रैक्टर से किसानों को खेत की जुताई करना महंगी पड़ रही है।
किसान परसाराम बुगालिया ने बताया कि इन दिनों ग्रामीण क्षेत्र के किसान रबी फसलों की कटाई के बाद और शादी विवाह के सीजन से निपटते ही किसानों ने खरीफ सीजन के लिए अपने खेत तैयार करने पर ध्यान केंद्रित कर लिया है। क्षेत्र के किसान बाजरा, ग्वार, मूंग, मोठ, मक्का, मूंगफली, तिल, आदि की खेती करेंगे। इससे पहले की किसान ट्रैक्टर से खेतों की गहरी जुताई करने में लग गए हैं। यही वजह है कि इन दिनों खेतों में हलचल दिखने लगी है। चारों और खेतों में ट्रैक्टरों की गड़गड़ाहट सुनाई दे रही है। ट्रैक्टर के माध्यम से तई चला रहे हैं। कई किसान हेरा- कल्टीवेटर से गहरी जुताई करते दिखाई दे रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि आमजन सहित किसानों पर महंगाई की मार पड़ रही है। कृषि यंत्र और डीजल महंगे होने के कारण किसानों को खेती करना महंगा पड़ रहा है। बुगालिया सहित किसानो का कहना है कि मोदी जी 2022 तक किसानों की आय दोगुनी बढ़ाने का वादा किया था। लेकिन समय बीत गया परंतु आमदनी दोगुनी नहीं हुई। लेकिन खेती में बेहिसाब बढ़ती लागत किसानों के मुनाफे पर चोट कर रही है। किसान चाहते हैं कि केंद्र की सरकार डीजल और कृषि यंत्र वह खाद बीज दवाई कीटनाशक,सहित डीजल की रेट कम करें। फसलों पर एमएसपी लागू करे तो किसानों को कुछ कमाई हो सकती है।