Friday, November 1, 2024
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कुचामन क्षेत्र में रबी फसल की बुवाई ने पकड़ी रफ्‍तार

खरीफ फसल से निराश रबी में जगी आस

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चौमासे की फसल बेहतर नहीं होने की वजह से किसान आर्थिक रूप से परेशान

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हेमंत जोशी @ कुचामनसिटी। मौसम में बदलाव आते ही रबी सीजन की बुवाई ने जोर पकड़ लिया है। किसानों ने रबी फसल की बुआई को लेकर नवंबर माह की शुरुआत में ही तेजी से तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए तेजी से खेतों की तैयारी की जा रही है। कुछ किसान सरसों, जौ, चना, गेंहू की बिजाई भी कर चुके हैं।

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फसलों को रोग मुक्त रखने के लिए किसान अगेति फसल बोने की कोशिश कर रहे हैं। जिसको लेकर क्षेत्र के किसान रबी फसलों की बुआई में जुट गए हैं। किसान ट्रैक्टर कल्टीवेटर लेकर खेतों की ओर कूच करते नजर आने लगे हैं। कुछ किसान खेतों में बिजाई करते नजर आने लगे। 

इस बरस बारिश के अभाव के चलते चौमासा की फसल प्रभावित हुई। इसकी वजह से किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।  अब आगे रबी फसल से उम्मीद को लेकर किसान खेतों में रबी सीजन की तैयारी शुरू कर दी।  कुछ किसानों ने बिजाई भी शुरू कर दी है।

गोपालपुरा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता किसान परसाराम बुगालिया जाट ने बताया कि खरीफ की फसल की कटाई के बाद किसान अब रबी सीजन की तैयारी में जुट गए हैं। इस साल खरीफ की फसल बेहतर नहीं होने की वजह से किसान आर्थिक रूप से परेशान है।

इलाके के जिस किसानों के पास सिंचाई के बेहतर सुविधा है वहां किसान सरसों, चना, जो, गेहूं, और इसबगोल आदि फसल की बुवाई की जाती है। इसके अलावा सब्जियों में जैसे फूलगोभी, पत्ता गोभी, टमाटर, मटर और प्याज के साथ-साथ मसाला वाली फसल जैसे जीरा, धनिया, अजवाइन, सौंफ, मेथी की खेती कर रहे हैं

किसानों के सामने कर्ज चुकाना चुनौती

किसान परसाराम बुगालिया ने बताया कि इस बार बारिश कम होने से खरीफ सीजन की बाजरा,ज्‍वार,मूंग, मोठ, और गवार व तील, मूंगफली की फसलों में नुकसान  हुआ है। किसानों के सामने अब रबी फसलों की बोवनी का संकट खड़ा हो गया है। चौमासा की फसलो मे उपज इतनी भी नहीं निकली कि किसान उनकी लागत निकाल सके।

कर्ज चुकाना तो दूर की बात है। ऐसे में और रबी की फसलों के लिए खाद बीज बोवनी सहित सिंचाई और दवाओं के खर्च के लिए किसान परेशान हो रहे है। जाहिर है खेती करना है तो कर्ज लेना ही पड़ेगा जिसका बोझ किसानों पर बढ़ता जा रहा है। बैंक और साहूकारों के कर्ज से दबे किसानों को इस समस्या का कोई हल दिखाई नहीं दे रहा है। छोटे किसानों की परेशानियां अधिक है।

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