Friday, November 22, 2024
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बारिश के अभाव में जल रही है फसलें, किसानों को नुकसान की आशंका

बारिश की एक बूंद को तरस रहे हैं किसान

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हेमन्त जोशी @ कुचामनसिटी।  सावन के महीने में बादल रूठ गए बादल छाए रहते हैं लेकिन बरस नहीं रहे हैं। मौसम की बेरुखी के चलते बिना बारिश के खेतो मे फसले मुरझा रही है और खेत सूखते जा रहे हैं।

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बरसात की नाराजगी के चलते इलाके के गांवो के खेतो में बाजार, ज्‍वार , मूंग, मोठ, ग्‍वार,तिल, मूंगफली की फैसले मुरझा रही है। कई जगह तो फसल पूरी तरह से सूख चुकी है। इससे किसानों को मोटा नुकसान होने की आशंका है। फसलों पर निर्भर किसान खून के आंसू बहा रहे हैं। अधिकतर किसान बरसात पर निर्भर है।

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क्षेत्र में कई दिनों से बरसात नहीं होने से किसान अपनी झुलस रही फसलों को देखकर निराश है।  गोपालपुरा निवासी किसान परसाराम बुगालिया जाट , हनुमानराम, बिरमाराम बांगड़वा, झूमरमल बिजारिणा, हरीराम महला, सहित किसानो का कहना है कि किसान सावन में अच्छी बारिश की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन सावन में झड़ी के बजाय चिलचिलाती धूप खिलने से लोग परेशान है। खेत सूख रहे किसान फसले खराब होने की आशंका से चिंतित है।

जल्दी बारिश नहीं हुई तो किसानों को अच्छे जमाने की उम्मीद पर पानी फिर जाएगा। किसानो का कहना है कि पहले प्री-मानसून की व मानसून की शुरुआत में इस बरस अच्छी बारिश होने से फसलें अच्छी दिखाई दे रही थी। सावन सूखा रहने से बोई गई फसले जलने के कगार पर पहुंच गई है। किसान सावन में बारिश की उम्मीद लगाते हैं, लेकिन मानसून के मंद पड़ जाने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरे उभर आई है।

खेतो मे खड़ी फसलों को इस समय पानी की जरूरत है। बादल छाए रहते हैं लेकिन बरस नहीं रहे हैं। इसका सीधा असर फसलो के सेहत पर हो रहा है। फसले मरने लगी है। अब फसले जलने की कगार पर है। किसानों को नुकसान की आशंका है। इस बार महंगे दामों पर बीज खरीद कर बुआई की थी।  लेकिन बारिश नहीं होने से फसले दम तोड़ने लगी है। जिसे किसान मायूस नजर आ रहे हैं। किसान बारिश की एक एक बूंद को तरस रहे हैं।

अनाज के साथ पशु चारे में भी होगी किल्लत

परसाराम बुगालिया जाट का कहना है कि क्षेत्र के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि और पशुपालन है। बारिश के अभाव में फसलें सूखने से पशुओं के लिए चारे की भी किल्‍लत बढ़ जाएगी। इससे पशुपालकों के लिए पशुओं को पालना मुश्किल होगा  क्योंकि पशु चारा महंगा होना निश्चित है। यदि एक-दो दिन में बरसात नहीं होती है। तो फसले बर्बाद होने पर अकाल जैसे हालात हो सकते हैं।

बारिश की लंबी खेंच से फसलों की सेहत बिगड़ने लगी है। खेतों में नमी कम होती जा रही है। इसके चलते फैसले सूखने लगी है। मानसून की बेरुखी किसनो की चिंता बढ़ा रही है। सिंचाई के अभाव में फैसले अब सूख रही है। फसलो के पत्ते भी मुरझाने लगे हैं और फसल की बढ़वार रुक गई है। किसान अपनी फसलों को लेकर हताश दिखाई दे रहे हैं। झुलस रहे खेतों को देखकर किसानों की आंखों में आंसू बह रहे हैं।
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