विमल पारीक. कुचामनसिटी। भगवान का जिनालय आत्म शुद्धि का सबसे पवित्र स्थान होता है। नित्य देव दर्शन से व्यक्ति को एक सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है जो उसे सद्कर्मों की ओर प्रेरित करती है। अपने मंगल प्रवचन मैं आर्यिका विशेषमती माताजी ने कुचामन के जैन भवन में कहा कि व्यक्ति जैसा खाता है अन्न, वैसा ही होता है उसका मन। जैसा पीता है पानी वैसी ही होती है उसकी वाणी।
उन्होंने बताया कि जैन होने के 3 लक्षण है- नित्य देव दर्शन करना, पानी हमेशा छान कर पीना तथा रात्रि में भोजन नहीं करना। उन्होंने कहा कि किसी भी त्रियांच को भगवान ने
बोलने की शक्ति नहीं दी है, सिर्फ व्यक्ति को ही बोलने की शक्ति प्रदान की है। मोक्ष की प्राप्ति सिर्फ मनुष्य को ही हो सकती है । लेकिन इस हेतु उन्हें पुरुषार्थ करना होगा, सिर्फ भाग्य से सब कुछ नहीं मिलता है। उन्होंने बहुत ही सहज, सरल किन्तु प्रभावी शब्दों में कहा कि प्रत्येक मनुष्य को चिंतन करना चाहिये कि उसे कितने जन्मों के पुण्य योग से मनुष्य योनि प्राप्त हुयी है अत: इसे व्यर्थ न गवाएं। उठिए, जागिए, भाग्य पर नहीं पुरूषार्थ पर विश्वास करें। आज प्रात: मंगल प्रवचन के पूर्व राजकुमारी पाटनी ने मंगलाचरण किया।।अजमेरी मन्दिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष अजय पाटोदी ने बताया कि आज आहार दान का पुण्य संतोष गंगवाल, सोभा रावका, सुरेन्द्र कुमार काला, घेवरमाला पहाड़िया, रंजू पहाड़िया, विमलादेवी पहाडिया, प्रमिला काला,मंजूपाटोदी ने प्राप्त किया। संयोजक विनोद गंगवाल ने बताया कि प्रतिदिन जैन भवन में प्रात: 8.15 बजे मंगल प्रवचन एवं शाम 7.15 बजे आरती, प्रवचन एवं ईनामी प्रशनोर्ति के कार्यक्रम होते है।