नावां सिटी. प्रदेश की सबसे बड़ी नमक औद्योगिक नगरी में वर्षा से अब एक बार फिर नमक उत्पादन पूर्ण रूप से बंद हो गया है।

क्यारियों में बरसात का मीठा पानी एकत्रित हो जाने के चलते अब नमक का उत्पादन नहीं हो सकेगा। कई क्यारियों में पड़ा नमक भी वर्षा के पानी से गल गया है, जिससे नमक उद्यमियों को नुकसान झेलना पड़ा।


क्षेत्र में तीन दिनों से लगातार हो रही वर्षा से नमक की क्यारियों में मीठा पानी भर गया है, जिसके चलते नमक उत्पादन अब बंद हो गया है। क्यारियों में नमक बनाने के लिए खारेपन में करीब 28 से 30 डिग्री का पानी होता है, जिससे नमक का उत्पादन होता है। लेकिन वर्षा से क्यारियों में मीठा पानी भर गया है, जिससे नमक का उत्पादन बंद हो गया। नमक उत्पादकों ने बताया कि जून व जुलाई में मानसून लगने के साथ ही बारिश होने पर नमक उत्पादन बंद कर दिया जाता है।
जून-जुलाई में बंद हुआ नमक अब नवम्बर माह तक ही शुरू हो पाएगा। वर्षा से क्यारियों में पड़ा नमक भी मीठे पानी की चपेट में आकर गल गया है, जिससे उद्यमियों को नुकसान भी झेलना पड़ा। सांभर झील के रास्तों में भी अब कीचड़ हो जाने से ट्रैक्टरों की आवाजाही नहीं हो सकेगी।

उल्लेखनीय है कि इस वर्ष बार-बार बारिशों के कारण नमक उत्पादन हर वर्ष की भांति कम हुआ है, जिसके चलते नमक मंडी में एक बार फिर कच्चे नमक के भाव काफी तेज रहे हैं। 80 से 90 रुपए बिकने वाला नमक 160 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया।
चालीस फीसदी कम हुआ स्टॉक –
हर वर्ष मार्च माह से जून माह तक तेज धूप रहने के चलते नमक का उत्पादन काफी तेजी से होता है, जिसके चलते नमक उत्पादक नमक का स्टॉक कर लेते हैं। जिसके पश्चात स्टॉक किए हुए नमक को जुलाई माह से नवम्बर माह तक खपत करते हैं तथा रिफाइनरियां संचालित करते रहते हैं।
लेकिन इस वर्ष बार-बार बारिश होने के चलते नमक का उत्पादन उतनी अधिक मात्रा में नहीं हो सका, जिसके कारण इस वर्ष लगभग चालीस फीसदी नमक उत्पादन कम हुआ। यदि अक्टूबर माह तक नमक का उत्पादन शुरू हो भी जाता है तो भी नमक उद्यमियों को सर्दियों में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।