कुचामन सिटी के वार्ड नंबर 19 में बीआर खोखर स्कूल रोड के पास एक खेत में रहने वाले चार–पांच परिवारों के लिए ये बारिश सालों से नुकसान का कारण बन रही है, लेकिन अभी तक उनकी समस्या का समाधान किसी ने नहीं किया।
पार्षद से लेकर नगरपरिषद तक सबका दरवाजा खटखटाने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिल रहा।
Kuchamadi.com की टीम ने इन परिवारों से बात की तो पता चला कि हर साल इन परिवारों को मिलाकर ₹5 लाख से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ता है, लेकिन इसमें गलती किसी और की है — जिसे इस नुकसान की भरपाई करनी चाहिए, वो है नगरपरिषद।
फसल खराबे की जिम्मेदार है नगरपरिषद
दरअसल नगरपरिषद कुचामन सिटी की ओर से शहर के अलग-अलग इलाकों से गंदे पानी के निस्तारण के लिए जगह-जगह ड्रेनेज पॉइंट बनाए गए हैं। ऐसा ही एक पॉइंट पदमपुरा रोड, मेड़ी का बास के पास बनाया गया है। यहां की जमीन नीची होने के कारण एक बड़ा गड्ढा बन गया है, जिसमें रैगरों का मोहल्ला, मेड़ी का बास और अन्य मोहल्लों से गंदा पानी नालियों के माध्यम निस्तारित किया जाता है।
लेकिन जब बारिश आती है या कभी इस ड्रेनेज पॉइंट का पानी ओवरफ्लो हो जाता है तो यह सारा गंदा पानी पास के खेतों से होते हुए इन परिवारों के घरों तक पहुंच जाता है।
जो खेत और घर इस गंदे पानी से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, वो लालाराम और उनके पिता दुलाराम कुमावत का खेत है, जिसमें इन्हीं के चार–पांच परिवारों के घर बने हुए हैं।

ड्रेनेज प्वाइंट से खेतों में भर रहा पानी
पीड़ित परिवारों का कहना है कि जहां ड्रेनेज पॉइंट बना है, उसके आगे ही उनका खेत है। जब भी इसमें गंदा पानी ज्यादा भर जाता है तो दीवार के ऊपर से पानी निकलकर सीधे उनके खेतों में आ जाता है। इसकी वजह यह है कि खेत की जमीन थोड़ी नीची है, जिससे सारा पानी खेत में भर जाता है और फिर घरों में भी घुस जाता है।
परिवारों ने बताया कि बारिश के मौसम में यह समस्या और गंभीर हो जाती है। जब बारिश शुरू होती है तो दीवार के ऊपर से सारा पानी तेज़ बहाव में आता है और खेतों में 5 से 6 फीट तक भर जाता है।

लालाराम की पत्नी राधा ने बताया कि यह समस्या उन्हें आर्थिक रूप से खाए जा रही है। उनके ही परिवार के चार घर हैं, जो इसी खेत के अलग-अलग हिस्सों में हैं। जब भी खेत में कोई फसल बोई जाती है, गंदा पानी आकर सब कुछ बर्बाद कर देता है। कई दिनों तक खेतों में पानी भरा रहता है।
खेतों से घरों में भर रहा पानी
अभी बारिश के मौसम में उन्होंने खरीफ की फसल बोई थी, लेकिन पिछले दिनों हुई बारिश से गंदा पानी खेतों में आ गया और फसल पूरी तरह खराब हो गई।
साथ ही जब भी पानी ज्यादा आता है तो घरों के अंदर तक घुस जाता है। पशुओं के लिए रखा ₹25,000 का चारा भी ऐसे ही बर्बाद हो गया — गंदे पानी में सड़ने के बाद अब उसे पशु खा भी नहीं रहे।

उन्होंने बताया कि हर साल फसल और चारे का नुकसान होता है। सिर्फ उनके खेत में ही ₹1.5 लाख तक की फसल का नुकसान होता है। उनके ससुर और अन्य परिवार के खेतों को मिलाकर देखें तो यह आंकड़ा ₹5 लाख से भी ज्यादा हो जाता है।
किसानों को मिल रहा आश्वासन
पीड़ितों का कहना है कि कई बार वार्ड नंबर 19 के पार्षद छीतरमल कुमावत को शिकायत दी गई, नगरपरिषद में भी जाकर बताया गया, लेकिन अधिकारी सिर्फ आश्वासन देकर चले जाते हैं।
सालों से जो नुकसान इन परिवारों को हो रहा है, उसका मुआवजा उन्हें मिलना चाहिए।
नगरपरिषद की जिम्मेदारी बनती है कि वह ऐसा काम न करे, जिससे आम लोगों को आर्थिक नुकसान और मानसिक दबाव का सामना करना पड़े।
अगर कोई समस्या है तो उसका समाधान भी होना चाहिए — या तो ड्रेनेज पॉइंट की दीवार को और मजबूत व ऊंचा किया जाए, या फिर रिहायशी इलाके से दूर गंदे पानी के निस्तारण के लिए गड्ढे बनाए जाएं।
लापरवाह जिम्मेदार
अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण एक ही खेत में रहने वाले ये छोटे किसान परिवार सालों से लाखों का नुकसान झेल रहे हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करे और इन परिवारों को उचित मुआवजा दिलाए।
जब केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को हर स्तर पर सहायता दे रही हैं, ऐसे में कुचामन सिटी के ये किसान आज भी प्रशासनिक लापरवाही के कारण आर्थिक नुकसान से जूझ रहे हैं।
— प्रदीप जांगिड़ (रिपोर्टर)