कुचामन न्यूज: शातिर दलाल और लुटेरी दुल्हन ने कुचामन के निकट ग्राम खारिया के एक परिवार के साथ लाखों की ठगी की वारदात को अंजाम दिया है। पुलिस ने परिवाद दर्ज कर मामले की जांच शुरू की है।

कुचामन समेत कई शहरों व ग्रामीण क्षेत्र के भोले भाले युवाओं को ठगने का यह खेल चल रहा है। जिसमें भोले भाले और अविवाहित युवाओं के परिवार से संपर्क कर शादी के बहाने लाखों रुपए की ठगी की वारदात को अंजाम दिया जा रहा है। शातिर बदमाश इसमे ऐसे लोगो की तलाश करते है जिनकी किन्ही वजह से शादी नही हो पा रही हो।
फिर वो पहले तो उनके हमदर्द बनके उनका दुखड़ा सुनते है फिर वो खुद ही उन्हे दुसरे राज्यो से लडकी मंगवा देने का मशवरा देते है। इसी बीच होती है किसी दलाल की एंट्री ओर कहा जाता है की लडकी तो हम बुलवा देंगे। हमारे पास गरीब घरों की लड़कियां है।


ऐसे शुरू होता है ठगी का खेल:-
दलाल तीन चार लड़कियों की फोटो भेजकर परिवार और दूल्हे को शादी का झांसा देते है।
कई बार तो वीडियो कॉल के जरिए लडके और लडकी की बात करवाई जाती है। लड़के को लड़की पसंद करवाई जाती है। लड़की पसंद आने पर पांच सात हजार की पहली चपत लगा कर लड़के वालो की आर्थिक हालत जांच ली जाती है।
ऐसे होता है मोलभाव शुरू:-
लड़की पसंद आने के बाद पैसे की बात शुरू होती है। मोलभाव का दौर दो से लेकर पांच लाख तक यह मामला सेट किया जाता है।
लेकिन दलाल इसी बीच नया पैंतरा खेलते है। लड़की वालों को शादी के लिए यहां बुलाने की बात के किराए और खर्च के नाम पर 50 हजार रुपए अलग लिए जाते है। इसके बाद मे दलाल दो तीन लोगो को लेकर लडके के गांव या शहर पहुंचते जाते है, जहां किसी मंदिर मे फेरे करवाकर लड़की को लड़के के साथ विदा कर देते है। इन सबसे पहले लड़के के परिवार से तय की पुरी राशि नकद से ली जाती है।

शादी के बाद फरार होती है लुटेरी दुल्हन:-
फेरों के बाद लडका दुल्हा बन ईठलाता हुआ अपनी सपनो की राजकुमारी दुल्हन को लेकर अपने घर आता है। घरवाले खुद को अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हुआ समझने ही लगते है कि दुल्हन घर में रखे पैसे और नगदी लेकर रफूचक्कर हो जाती है। घर वाले दुल्हन को ढूंढते है उसके पहले वह अपने ठिकाने पर पहुंच जाती है। कुचामन के निकट ग्राम खारिया में एक युवक के साथ ऐसी ही घटना घटी है। जिसका पुलिस थाने में परिवाद दर्ज करवाया गया है। हालांकि अभी तक दलाल और लुटेरी दुल्हन का कोई सुराग नहीं लगा है। पुलिस मामले की जांच में लगी हुई है। दरअसल कई मामलों में तो लोग लोकलाज और अपनी इज्जत के चक्कर में थाने में मुकदमा भी दर्ज नहीं करवाते है और ठगी का शिकार हो जाते हैं।
(नोट – यहां पर ठगी के शिकार की सार्वजनिक रूप से पहचान उजागर नहीं की जा रही है। )