चातुर्मास 2025: 6 जुलाई से मांगलिक कार्यों पर पूर्ण विराम लग जाएगा, क्योंकि इस दिन से देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास की शुरुआत हो रही है और गुरु ग्रह पहले ही अस्त हो चुके हैं।

ऐसे में विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत संस्कार और मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा जैसे कार्य अब लंबे समय तक वर्जित रहेंगे। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार यह समय शुभ कार्यों से परहेज करने का होता है।


गुरु ग्रह के अस्त होने का प्रभाव
ज्योतिषाचार्य राजेंद्र छीपा के अनुसार गुरु ग्रह का अस्त होना शुभता को क्षीण करता है। जब तक गुरु ग्रह पुनः उदित नहीं होता, तब तक विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, नया निर्माण कार्य, मुंडन और नए व्यवसाय की शुरुआत जैसे कार्य वर्जित रहते हैं। इस बार गुरु 9 जुलाई को उदित होंगे, लेकिन तब तक चातुर्मास की शुरुआत हो चुकी होगी, जिससे यह कार्य और आगे टल जाएंगे।
चातुर्मास: धर्म और संयम का विशेष काल
देवशयनी एकादशी से लेकर देवोत्थान एकादशी (1 नवंबर) तक का समय चातुर्मास कहलाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस अवधि में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसलिए हिंदू धर्म में इसे व्रत, तप और साधना का काल माना जाता है, जबकि शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।
क्या करें, क्या न करें?
ज्योतिषाचार्य राजेंद्र कुमार बताते हैं कि इस अवधि में अन्नप्राशन, पहले से चल रहे निर्माण कार्य, वाहन या आभूषण खरीदना, घर की मरम्मत, पूजा-पाठ, व्रत, दान और तीर्थ यात्रा जैसे कार्य किए जा सकते हैं। इन पर चातुर्मास या गुरु अस्त का कोई धार्मिक प्रतिबंध नहीं है।6 जुलाई से 1 नवंबर तक विवाह, सगाई, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य नहीं होंगे। यह समय तप, व्रत और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयुक्त माना गया है।

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