नावां पालिका प्रशासन की ओर से किसी व्यवस्था की रूपरेखा बनाने से पहले लाखों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं, जिनका बाद में कोई उपयोग नहीं रहता है।

पालिका की ओर से शहर में चार जगहों पर लाखों रुपए की लागत से बस शेल्टर बनाए गए, जो कि एक भी सही स्थिति में नहीं बनाया गया।


इसका नतीजा है कि आज बस शेल्टरों का प्रयोग नहीं होता है तथा कुर्सियां व शेड जंग खाकर टूट रहे हैं। शहर में यातायात पुलिस की व्यवस्था नहीं होने से भी बस शेल्टरों का उपयोग नहीं हो सका है।
शहर के तहसील कार्यालय के सामने व्यास पार्क के गेट के पास बस शेल्टर बना हुआ है, लेकिन बस चालकों की ओर से कभी भी बस शेल्टर के बाहर बस नहीं रोकी जाती है। बस चालकों की ओर से तहसील कार्यालय के गेट के सामने ही बस रोकी जाती है, जिसके कारण बस शेल्टर दिनभर सुनसान पड़ा जंग खा रहा है। इसके साथ ही पुराने रेलवे स्टेशन के पास बने बस शेल्टर की भी यही स्थिति है। यह बस शेल्टर भी जंग खा रहा है।

बस स्टैंड पर बना बस शेल्टर ही उपयोगी है, जहां लोग छाया में बैठकर बस का इंतजार कर सकते हैं। उपखंड मुख्यालय पर बस स्टैंड के नाम पर कोई सुविधा नहीं है, केवल यह एक बस शेल्टर शहर की स्थिति बयां करता है।
बिना बस मार्ग के भी बना दिए बस शेल्टर –
शहर के जोगियों के आसन होते हुए जाब्दीनगर मार्ग पर कोई भी बसें व टैक्सियां नहीं चलती हैं, लेकिन पालिका की ओर से बाग के गणेश मंदिर के पास भी बस शेल्टर बना दिया गया है। इससे साफ प्रतीत होता है कि पालिका की ओर से केवल व्यर्थ रुपए खर्च किए गए हैं। गणेश मंदिर के पास से न तो कोई बस निकलती है, फिर भी बस शेल्टर बनाकर यह केवल विश्राम स्थल बना है।
सफाई व्यवस्था शून्य – पालिका प्रशासन की ओर से शहर में चार जगहों पर बस शेल्टर तो बना दिए गए, लेकिन इनकी साफ-सफाई नहीं करवाई जाती है, जिससे बस शेल्टरों में कचरा भरा रहता है। बस शेल्टरों की दशा देख लोगों का अंदर बैठने का भी मन नहीं करता है।
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