कुचामन सिटी में बहुचर्चित पीसीपीएनडीटी अधिनियम उल्लंघन प्रकरण में गिरफ्तार किए गए दलाल सुखराम को आज अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACJM) न्यायालय से सशर्त जमानत मिल गई है।

अदालत ने आरोपी को जांच में पूर्ण सहयोग करने की शर्त पर यह राहत दी है। दोनों पक्षों की विस्तृत बहस के पश्चात न्यायालय ने यह निर्णय सुनाया।


दरअसल, यह मामला 28 मई 2025 का है, जब पीसीपीएनडीटी टीम ने कुचामन सिटी स्थित मंगलम अल्ट्रासाउंड लैब पर छापेमारी की थी। इस कार्रवाई के दौरान भ्रूण लिंग जांच के लिए ₹70,000 की मांग करने की बात सामने आई थी। दलाल सुखराम को मौके से गिरफ्तार किया गया था, जो गर्भवती महिलाओं को भ्रूण परीक्षण के लिए ले जाने का कार्य कर रहा था…कुचामन सिटी में भ्रूण लिंग जांच का भंडाफोड़, दलाल गिरफ्तार, अल्ट्रासाउंड मशीन सीज
गिरफ्तारी के बाद सुखराम के विरुद्ध पीसीपीएनडीटी अधिनियम 1994 की धारा 4(3), 4(4), 4(5), 5(2), 23, 25 और 29 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। इसके साथ ही पीसीपीएनडीटी नियम, 1996 के नियम 9(4) के अंतर्गत भी कार्यवाही की गई।

प्रकरण में आरोपी की ओर से विधि शास्त्र लीगल सर्विसेज के अधिवक्ताओं रमेश चौधरी एवं सुधीर कौशिक ने सुनियोजित और कानूनी दृष्टिकोण से पैरवी की।

अधिवक्ता रमेश चौधरी ने बताया कि “हमने अदालत के समक्ष यह स्पष्ट किया कि आरोपी के खिलाफ दर्ज अपराध की प्रकृति ऐसी नहीं है कि उसे अनावश्यक रूप से हिरासत में रखा जाए। यह एक तकनीकी एवं परीक्षणाधीन मामला है, जिसमें आरोपी जांच में सहयोग देने को तत्पर है। कानून गिरफ्तारी को अपवाद मानता है, न कि सामान्य प्रक्रिया। न्यायालय ने इस सिद्धांत को मान्यता दी है।”

अधिवक्ता सुधीर कौशिक ने कहा कि “हमने सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णय Arnesh Kumar बनाम बिहार राज्य (2014) का हवाला देते हुए अदालत को यह समझाने का प्रयास किया कि गिरफ्तारी केवल गंभीर परिस्थिति में ही की जानी चाहिए। न्यायालय ने संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए न्यायोचित निर्णय दिया।”
न्यायालय का आदेश – अदालत ने सुखराम को यह निर्देशों के साथ जमानत दी कि वह जांच में हर स्तर पर पूर्ण सहयोग करेगा। आदेश के बाद सुखराम व उसके परिजनों ने राहत की सांस ली है।
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