कुचामन सिटी: शहर के आसपास के गांवों में बड़े पैमाने पर प्याज का उत्पादन होता है, लेकिन प्याज की उचित कीमत नहीं मिल रही, जिससे किसान निराश हैं। प्याज छह-सात रुपये प्रति किलो बिक रहा है, फिर भी खरीदार नहीं मिल रहे।

कड़ी मेहनत और बड़ी उम्मीद के साथ किसानों ने प्याज की खेती की, लेकिन उन्हें मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिल रहा। कई किसानों ने कर्ज लेकर महंगे बीज खरीदे और खेतों में लगाए, लेकिन अब कर्ज चुकाने की चिंता सता रही है। कई किसानों ने बैंक से केसीसी के माध्यम से कर्ज लिया था। प्याज का उचित दाम न मिलने से किसानों की रातों की नींद और दिन का चैन गायब हो गया है।


गोपालपुरा गांव के किसान श्रवणराम मेघवाल ने बताया कि उन्होंने कड़ी मेहनत कर महंगे बीज खरीदकर करीब दो बीघा में प्याज की खेती की थी। दो ट्रॉली प्याज निकला, लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे। उचित कीमत न मिलने से नुकसान हो रहा है। गांव के व्यापारी भागुराम ने कहा कि प्याज की मांग बाहर नहीं है। जो किसान प्याज बेचना चाहते हैं, उसे खरीद रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता भगतसिंह यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष एवं विश्व जाट महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष परसाराम बुगालिया ने बताया कि प्याज का भाव कम मिल रहा है, जो किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है।

प्याज का उत्पादन कम होने और उचित भाव न मिलने के कारण इस वर्ष यह फसल किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्याज की खेती में किसानों को कड़ी मेहनत के साथ-साथ मजदूरी, खाद और दवाइयों पर भारी खर्च करना पड़ता है, लेकिन लागत का भाव भी नहीं मिल रहा। अगर हालात ऐसे ही रहे, तो आने वाले दिनों में किसान प्याज की खेती से विमुख हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक किसानों को कम से कम 1500 रुपये प्रति क्विंटल का भाव नहीं मिलेगा, तब तक प्याज की फसल में फायदा नहीं, बल्कि नुकसान ही होगा।
बुगालिया ने इस बारे में पहले भी शासन-प्रशासन को पत्र लिखकर प्याज का समर्थन मूल्य देने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने किसानों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने मीडिया के माध्यम से पुनः समर्थन मूल्य देने की मांग की है।
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