
मजदूर दिवस पर विशेष

साल्ट इंडस्ट्री का सच पार्ट 3


चीफ एडिटर हेमंत जोशी की खास रिपोर्ट
नावां न्यूज: आज मजदूर दिवस है। इस मौके पर बात करते हैं नावां के उन मेहनतकश मजदूरों की, जिनके कंधों पर यहां का पूरा नमक उद्योग टिका हुआ है। यही उद्योग नावां को देशभर में पहचान दिलाता है। लेकिन इन मजदूरों की जान से खिलवाड़ हो रहा है।
इनकी मौत की रकम भी फिक्स है, मजदूर की मौत पर परिवार को अधिकतम 5 लाख रुपए तक दिए जाते है, कई मर्तबा तो इससे भी कम में ही समझौता करके गरीब मजदूर के परिवार को दबा दिया जाता है। किसी भी नमक रिफाइनरी में मजूदरों को सुरक्षा उपकरण नहीं दिए जाते। बिना किसी सुरक्षा के ही वह रिफाइनरियों में काम करते है।
खास बात तो यह है कि रिफाइनरी में उड़ने वाले नमक की डस्ट में इन्हें मास्क तक नहीं दिए। जिससे नमक श्रमिकों को हाई बीपी और हड्डियों तक गला देने वाली कई बीमारियां होती है।
लेकिन नमक निर्माताओं को श्रमिकों की जान और उनके स्वास्थ्य की कोई चिंता नहीं है। श्रम विभाग के अधिकारी भी यहां पर निरीक्षण के नाम पर लिफाफे में बंद हो जाते हैं। विभाग की ओर से सख्ती से श्रमिक कल्याण के नियमों की पालना नहीं करवाई जाती।
नावां में सांभर रोड़ पर कई नमक रिफाइनरियों में यही हालात बने हुए है। जबकि यहां हर साल हादसे होते रहते है, जिसमें श्रमिकों की जान तक चली जाती है। पिछले कुछ सालों में इन रिफाइनरियों में कई श्रमिक नमक निर्माताओं की लापरवाही से अकाल मौत का सामना कर चुके है।

नावां में कई नमक रिफाइनरियां हैं, जहां सैकड़ों मजदूर दिन-रात काम करते हैं। ये मजदूर सिर्फ अपने परिवार के लिए नहीं, बल्कि देश के हर उस व्यक्ति के लिए मेहनत करते हैं जो इस नमक का उपभोक्ता है।
आज यह क्षेत्र विकास की राह पर है। लेकिन जो चीज़ अब तक नहीं बदली, वो है मजदूरों की हालत। रिफाइनरियों में नमक की अशुद्धियां दूर करने के लिए उसे पानी में घोलकर कई डिग्री तापमान पर गर्म किया जाता है। जिसके बाद नमक रिफाइंड होता है।
मजदूर इसी तेज गर्मी में लगातार काम करते हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतज़ाम नहीं होते। वे वही कपड़े पहनकर काम करते हैं जो घर से पहनकर आते हैं।
उन्हें न मास्क दिया जाता है, न हेलमेट और न ही अन्य जरूरी सुरक्षा उपकरण। रिफाइनरी मालिकों की सोच बस यही होती है कि किसी भी तरह काम निकलवा लो। और श्रमिक की मौत पर कुछ पैसे देकर मौत का सौदा कर लिया जाता है।
इस मामले में श्रम विभाग के उच्च अधिकारियों को भी kuchamadi.com की ओर से जानकारी दी गई है।
जिस पर विभाग के अधिकारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जल्द ही अलग अलग टीमें गठित करके कार्रवाई की जाएगी।


मजदूर दिवस पर भी काम करने को मजबूर
कुचामन सिटी. नया बस स्टैंड के पास सड़कों का फिर से निर्माण किया जा रहा है। कई दिनों से मजदूर इस काम में लगे हैं, और आज भी यह काम जारी है।
मजदूर दिवस पर कम से कम इन्हें एक दिन की छुट्टी तो मिलनी चाहिए, वह भी वेतन के साथ। लेकिन आज भी ये लोग अपने परिवार के लिए, साथ ही देश की प्रगति के लिए उसी तरह खून-पसीना बहा रहे हैं।
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