Friday, April 25, 2025
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कुचामन में चिकित्सा व्यवस्था बेहाल, अस्पताल में सफाई से लेकर बिजली तक सब बदहाल

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कुचामन सिटी.जो शिक्षा व्यवस्था में आगे है, जहां छात्र अपना भविष्य संवारने आते हैं यहां आज भी चिकित्सा व्यवस्था पर प्रशासन द्वारा बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा।

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हद तो यह है कि राजकीय चिकित्सालय में सफाई व्यवस्था का हाल बेहाल है। जहां सबसे ज्यादा जरूरत एक अस्पताल को स्वच्छ और साफ रखने की होती है, वहां केवल प्रशासनिक अधिकारियों के दफ्तर ही चमक रहे हैं।

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आज अधिवक्ता ओमप्रकाश पारीक अपने बेटे का इलाज करवाने कुचामन राजकीय अस्पताल आए थे।

उन्होंने अस्पताल की जो हालत देखी वह किसी चिंता से कम नहीं थी। जब वह अंदर गए तो वहां ठीक से सफाई नहीं थी। हो सकता है कि इतने लोग आते-जाते हैं तो चूक हो सकती है। फिर उन्होंने इमर्जेंसी रूम देखा। जानते हैं कि इमर्जेंसी रूम में उन्हीं मरीजों को रखा जाता है जिनकी हालत गंभीर हो।

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अब इस रूम को तकनीकी दृष्टि से सुलभ होना आवश्यक है। लेकिन तकनीकी तो दूर की बात, इसकी सफाई की बदहाल हालत देखकर एक बार को तो कचरा पात्र की याद आ जाती है कि कहीं प्रशासन ने इस रूम को इमर्जेंसी से हटाकर कूड़ेदान में तब्दील तो नहीं कर दिया?

टेबलों पर चीजें बिखरी पड़ी थीं, फर्श पर कागज पड़े थे। खाली बोतलें और हर जगह सफेद पाउडर बिखरा था।

हां कोने में एक बाल्टी थी कचरा डालने के लिए लेकिन अस्पताल के कर्मचारी इतने बिजी हैं कि उन्हें कचरा जमीन पर ही फेंकना ज्यादा आसान लगता है।

डॉक्टरों को पता है कि इतनी गंदगी किसी के लिए इन्फेक्शन का कारण बन सकती है। जान जा सकती है एक ‘इंसान’ की। लेकिन फिर भी इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा।

अभी तक कुचामन में एक ही सरकारी अस्पताल है, जिसमें मरीज़ सुबह से दोपहर तक इंतज़ार करते हैं कि उनका इलाज हो जाए। तभी डॉक्टर द्वारा उन्हें कहा जाता है कि लाइट नहीं है।

अस्पताल में 24 घंटे लाइट होनी चाहिए, यह बिजली विभाग की जिम्मेदारी है। लेकिन यहां के अधिकारी अपने ऑफिस में बैठे-बैठे इतने सुस्त हो चुके हैं कि उन्हें यह तक पता नहीं चलता कि शहर में कहां लाइट है और कहां नहीं। हर दिन किसी न किसी कारण लाइट काट दी जाती है।

कहा जा सकता है कि कुचामन में बिजली विभाग के अधिकारी पूरी तरह लापरवाही बरत रहे हैं, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

अधिवक्ता ओमप्रकाश पारीक ने बताया कि जब उन्होंने अपने बेटे को नेबुलाइज़र लगवाया तो उसी दौरान अस्पताल की बिजली चली गई। जिससे बच्चे को पूरा उपचार नहीं मिल पाया। साथ ही नेबुलाइज़र की कमी से अन्य मरीज भी परेशान हैं।

अधिवक्ता ओमप्रकाश पारीक ने कहा कि अगर अस्पताल की व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो वह कोर्ट को इसकी हालत से अवगत करवाएंगे।

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