
कुचामन न्यूज: राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा नवगठित न्यायिक जिलों में लंबित मामलों की स्थिति का आकलन करने के लिए पत्र जारी किया गया है।

इस पत्र के साथ ही कुचामन सिटी में जिला न्यायालय और जिला मुख्यालय की स्थापना की माँग ने जोर पकड़ लिया है। कुचामन अभिभाषक संघ 21 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है, और अब यह आंदोलन केवल वकीलों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि आम जनता भी इस माँग के समर्थन में आ चुकी है।


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अभिभाषक संघ का अडिग रुख
कुचामन अभिभाषक संघ के अध्यक्ष ने स्पष्ट किया है कि जब तक कुचामन में जिला न्यायालय और जिला मुख्यालय की स्थापना की आधिकारिक घोषणा नहीं की जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उनका कहना है कि कुचामन सिटी, जो इस जिले का सबसे बड़ा और व्यावसायिक रूप से सक्रिय शहर है, को प्रशासनिक और न्यायिक केंद्र बनाना तर्कसंगत है। उन्होंने कहा कि “यह केवल एक माँग नहीं, बल्कि हमारे अधिकारों की लड़ाई है।”
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कुचामन में जिला न्यायालय और मुख्यालय की आवश्यकता
1. त्वरित न्याय और कम खर्च
कुचामन और आसपास के लोगों को डीडवाना, नागौर या जयपुर जाने की बजाय यहीं न्याय मिल सकेगा, जिससे समय और धन की बचत होगी।
2. लंबित मामलों में कमी
स्थानीय स्तर पर मामलों के निपटारे से डीडवाना और नागौर की अदालतों पर भार कम होगा, जिससे न्याय प्रक्रिया तेज़ होगी।
3. महिलाओं और बुजुर्गों को राहत
दूरस्थ अदालतों में जाने की परेशानी से बचने के लिए महिलाओं और बुजुर्गों को स्थानीय न्यायालय की सुविधा मिलेगी।
4. व्यापार और विकास को बढ़ावा
व्यापारिक केंद्र होने के कारण कुचामन में न्यायिक सुविधाएँ मिलने से कानूनी प्रक्रिया सरल होगी, जिससे व्यवसाय और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
5. भूमि उपलब्धता
न्यायालय भवन के लिए 25 बीघा भूमि पहले से आवंटित है, जहाँ आधुनिक न्यायिक परिसर विकसित किया जा सकता है।
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स्थानीय जनता का समर्थन
कुचामन सिटी के व्यापारी, किसान और युवा वर्ग भी इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। स्थानीय व्यापारी संघ के एक सदस्य ने कहा कि “हमें अपने कानूनी कार्यों के लिए डीडवाना जाना पड़ता है, जो हमारे लिए बहुत बड़ी समस्या है।” किसान नेता ने भी कहा कि “कुचामन हमारे लिए नजदीक और सुविधाजनक स्थान है।” इस प्रकार, आंदोलन में जनता का समर्थन लगातार बढ़ रहा है।
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सरकार की प्रतिक्रिया और आगे की रणनीति
सरकारी सूत्रों के अनुसार, उच्च न्यायालय द्वारा मांगी गई रिपोर्ट के बाद ही इस विषय में निर्णय लिया जाएगा। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
अभिभाषक संघ ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार शीघ्र निर्णय नहीं लेती, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है। आगे की रणनीति में हाईवे जाम, आमरण अनशन और मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन करने जैसे कदम शामिल हैं।
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कुचामन सिटी में जिला न्यायालय और मुख्यालय की स्थापना की माँग केवल वकीलों की नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की जनता की है। यह निर्णय न केवल न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाएगा, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और प्रशासनिक रूप से भी क्षेत्र के लिए फायदेमंद होगा। अब सबकी निगाहें सरकार और उच्च न्यायालय के निर्णय पर टिकी हुई हैं।