
कुचामन न्यूज: राजस्व मंत्रालयिक कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न मांगों और समस्याओं को लेकर कुचामन सिटी के एडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया गया तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे, जिससे प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो सकते हैं।


राजस्व विभाग का कार्य और महत्व
ज्ञापन में बताया गया कि राजस्व, भू-प्रबंधन एवं उपनिवेशन विभाग राज्य सरकार का एक प्रमुख विभाग है, जो सरकार को राजस्व प्रदान करने के साथ ही आम जनता और किसानों से जुड़े संवेदनशील मामलों का निस्तारण करता है।
यह विभाग जिला कलक्टरेट, तहसील और उपखंड स्तर तक सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं के क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा, चुनाव, जनगणना, आपदा प्रबंधन, महामारी नियंत्रण और अन्य अत्यावश्यक सेवाओं में भी इस विभाग का महत्वपूर्ण योगदान है।
निदेशालय में शामिल करने का विरोध
कर्मचारियों ने ज्ञापन में कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा मंत्रालयिक निदेशालय के गठन की घोषणा की गई थी, लेकिन इसमें राजस्व मंडल और इसके प्रशासनिक नियंत्रणाधीन कार्यालयों को शामिल करने से विभागीय कार्यप्रणाली बाधित होगी।
राजस्व मंडल के अधीन जिला कलेक्टर कार्यालय, उपखंड अधिकारी कार्यालय, तहसील कार्यालय, राजस्व अपील अधिकारी कार्यालय, भू-प्रबंध अधिकारी कार्यालय जैसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक कार्यालय आते हैं, जो न्यायालयीन और सामान्य प्रशासन से जुड़े कार्य करते हैं। इन कार्यों में सिविल प्रक्रिया संहिता और कोर्ट मैनुअल के अनुसार न्यायिक कार्य संपादित होते हैं। ऐसे में निदेशालय में राजस्व विभाग को शामिल करने से राजस्व मंडल का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
राजस्व मंत्रालयिक कर्मचारियों ने ज्ञापन में अपनी विभिन्न मांगों को स्पष्ट किया है। उन्होंने मांग की है कि राजस्व विभाग को मंत्रालयिक निदेशालय से बाहर रखा जाए, क्योंकि इससे राजस्व मंडल, संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर, उपखंड अधिकारी, तहसील और भू-प्रबंध कार्यालयों जैसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक कार्यालयों की कार्यप्रणाली बाधित होगी। इसके अलावा, उपखंड अधिकारी कार्यालयों में बढ़ते कार्यभार को देखते हुए सहायक प्रशासनिक अधिकारी का 1 पद और वरिष्ठ सहायक के 2 पद सृजित करने की मांग की गई है।
कर्मचारियों ने तहसीलदार पदों पर मंत्रालयिक संवर्ग का कोटा यथावत रखने और अन्य संगठनों के दबाव में इस कोटे से छेड़छाड़ नहीं करने की मांग भी उठाई है। तहसीलदार पद की वर्ष 2023-24 की आस्थगित डीपीसी और वर्ष 2024-25 की नियमित डीपीसी को शीघ्र संपादित कर रिक्त पदों को पदोन्नति से भरने की भी अपील की गई है।
इसके साथ ही नवगठित जिलों में स्वीकृत पदों पर स्पष्ट नीति बनाकर नियमित कार्मिक लगाने और वर्ष 2025-26 से इन जिलों में स्वीकृत पदोन्नति के पदों को डीपीसी में शामिल कर पदोन्नतियां करने की मांग भी शामिल है।
वेतन विसंगतियों और पदोन्नति का मुद्दा
कर्मचारियों ने वर्षों से लंबित वेतन विसंगतियों को दूर करने और समय पर वित्तीय लाभ प्रदान करने की भी मांग की है। इसके अलावा, तहसीलदार पदों पर नियमित पदोन्नति प्रक्रिया पूरी करने और नवगठित जिलों में स्वीकृत पदों को डीपीसी में शामिल करने की मांग भी ज्ञापन में उठाई गई है।
आंदोलन की चेतावनी
ज्ञापन में मंत्रालयिक कर्मचारियों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो वे 4 अप्रैल 2025 को जयपुर में विशाल रैली आयोजित करेंगे।
कर्मचारियों ने कहा कि मांगें पूरी नहीं होने की स्थिति में प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा और कार्य बहिष्कार किया जाएगा, जिससे प्रशासनिक कार्य ठप हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान न्यायालयीन और प्रशासनिक कार्य बाधित हो सकते हैं, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा।
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