कुचामन न्यूज़: अखिल भारतीय किसान सभा और सीटू के कार्यकर्ताओं ने देश की महामहिम राष्ट्रपति महोदया के नाम एक ज्ञापन अतिरिक्त जिला कलेक्टर कुचामन के माध्यम से सौंपा।
इस ज्ञापन में किसान और मजदूरों के संघर्ष और उनके मुद्दों का उल्लेख करते हुए, इन दोनों प्रमुख उत्पादन शक्तियों के पक्ष में हस्तक्षेप करने की अपील की गई है।
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ज्ञापन में कहा गया कि हम पूरे देश में अपने मुद्दों पर प्रकाश डालने और उनके निवारण की मांग को लेकर संयुक्त रूप से विरोध कर रहे हैं। 26 नवंबर का दिन विशेष रूप से चुना गया है, क्योंकि यही वह दिन है जब 2020 में ट्रेड यूनियनों ने मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल की थी और किसानों ने काले कृषि कानूनों के खिलाफ संसद की ओर ऐतिहासिक मार्च शुरू किया था।
ज्ञापन में किसानों के लंबी लड़ाई के बावजूद किए गए वादों के पूरे न होने का जिक्र करते हुए, सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए गए। विशेष रूप से एमएसपी की वृद्धि और खरीद की स्थिति को लेकर सरकार की नाकामी पर चिंता व्यक्त की गई।
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इसके अलावा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हितों को बढ़ावा देने वाले सरकार के कदमों की आलोचना की गई जैसे कि डिजिटल कृषि मिशन और संविदा खेती को बढ़ावा देना। वहीं कृषि भूमि के अधिग्रहण और भूमि अधिग्रहण कानूनों के उल्लंघन की भी आलोचना की गई।
कॉर्पोरेट कंपनियां बिजली के स्मार्ट मीटर, मोबाइल नेटवर्क के उच्च रिचार्ज शुल्क, बढ़ते टोल शुल्क, रसोई गैस व डीजल एवं पेट्रोल की बढ़ती कीमतों और जीएसटी के विस्तार के माध्यम से मोटी कमाई कर रही हैं। इसके विपरीत कामकाजी लोग- किसान, औद्योगिक एवं खेत मज़दूर और मध्यम वर्ग कर्ज के बोझ मे दबा जा रहा हैं।
इस ज्ञापन में देशभर में बढ़ते आर्थिक संकट, खासकर किसान और मजदूर वर्ग के लिए बढ़ती कर्ज़, खाद्य सुरक्षा संकट, और सरकारी नीतियों के खिलाफ विरोध की भावना का वर्णन किया गया।
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12 मुख्य मांगों की सूची भी राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत की गई, जिनमें:
1. सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद के साथ सी2+50% के अनुसार एमएसपी तय किया जाए।
2. चार श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाए, श्रम की आउटसोर्सिंग और ठेकेदारी समाप्त की जाए, और सभी के लिए रोजगार सुनिश्चित किया जाए।
3. सभी मज़दूरों के लिए 26,000 रुपये प्रति माह का राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन और 10,000 रुपये प्रति माह पेंशन एवं सामाजिक सुरक्षा लाभ लागू किया जाए।
4. किसानों की ऋणग्रस्तता और आत्महत्या को समाप्त करने के लिए व्यापक कर्ज़ मुक्ति योजना लागू की जाए।
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5. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सेवाओं का निजीकरण बंद किया जाए और कृषि पंपों के लिए मुफ्त बिजली दी जाए।
6. डिजिटल कृषि मिशन (डीएएम), राष्ट्रीय सहयोग नीति और कृषि के निगमीकरण को बढ़ावा देने वाले समझौतों को रोका जाए।
7. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 और वन अधिकार कानून को लागू कर अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण समाप्त किया जाए।
8. मनरेगा के तहत 200 दिन काम और 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी सुनिश्चित की जाए।
9. फसलों और मवेशियों के लिए व्यापक सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा योजना लागू की जाए।
10. 60 वर्ष की आयु से ऊपर के लोगों के लिए 10,000 रुपये मासिक पेंशन सुनिश्चित की जाए।
11. सार्वजनिक संपत्ति के निगमीकरण और विभाजनकारी कॉर्पोरेट-साम्प्रदायिक नीतियों को समाप्त किया जाए।
12. महिला सशक्तिकरण, महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ हिंसा और सामाजिक उत्पीड़न को समाप्त किया जाए।
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ज्ञापन में इन मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई की अपील की गई है और यह बताया गया कि मजदूरों और किसानों का एकता और संघर्ष राष्ट्रीय हित में महत्वपूर्ण है।
ज्ञापन सौंपने वालों में माकपा के जिला सचिव मोतीलाल शर्मा, कुचामन तहसील के सचिव हरदेवा आनंद, सीटू के कमरेड अब्बास खान, किसान सभा के अध्यक्ष रेखा राम बडकेशिया सहित कई अन्य प्रमुख नेता और कार्यकर्ता शामिल थे।
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