अभियोजन पक्ष नहीं पेश कर पाया ठोस सबूत
हेमंत जोशी @ कुचामनसिटी। कुचामन क्षेत्र में करीब एक साल पहले हुई हत्या के मामले में कुचामन कोर्ट के प्रकरण संख्या 28/2022 एफ आई आर संख्या 147/22 थाना कुचामन सिटी सरकार बनाम रामफल में न्यायालय ने युवक रामफल को बरी कर दिया है।
कोर्ट ने सुनवाई करते हुए माना कि आरोपी रामफल के वारदात में शामिल होने का कोई भी सबूत अभियोजन पक्ष के पास नहीं है। अभियोजन पक्ष उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया जिसके बाद कुचामन कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश माननीय सुन्दर लाल खरोल ने उसे बरी कर दिया।
आरोपी रामफल के खिलाफ नहीं था कोई सबूत
कोर्ट ने कहा कि आरोपी की उपस्थिति एवं अपराध में संलिप्तता को दर्शाने के लिए कोई स्वतंत्र साक्षी नहीं था और न ही कोई सबूत था। वर्ष 2022 के 26 अप्रैल को कुचामन क्षेत्र के कंजर बस्ती में एक महिला संतोष की गला घोंट कर हत्या कर दी गई थी। पुलिस के इस मामले में महिला के पति रामफल को आरोपी मानकर गिरफ्तार किया था।
आरोपी रामफल के पास नही थे मुकदमा लड़ने के रुपये
बेगुनाह रामफल की आर्थिक स्थिति सही नही होने से उसके पास मुकदमा लड़ने तक के लिए पैसे नहीं थे। जिस कारण विधिक सहायता (legal aid) के जरिये पैनल अधिवक्ता रमेश चौधरी, अधिवक्ता सुधीर कौशिक ने आरोपी रामफल की निशुल्क पैरवी की थी।
अधिवक्ता रमेश चौधरी ने बताया कि रामफल को बेवजह हत्या के मुकदमे में फंसाया गया था तथा अभियोजन ट्रायल के दौरान रामफल पर लगाए गए आरोपों के समर्थन में किसी प्रकार का कोई ठोस सबूत और तथ्य पेश नहीं कर सका जिससे यह साबित हो कि रामफल हत्या का गुनाहगार है।
अभियोजन गलत ढंग से युवक को फंसाया
पुलिस ने सिर्फ घटना स्थल पर रामफल की मौजूदगी के संदेह के कारण गलत ढंग से उसे फंसाया है। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए माना कि आरोपी के विरुद्ध ना पर्याप्त गवाह है और ना ही सबूत। आरोपों से कोई ऐसा तथ्य नहीं प्रकट हुआ जो उसे अपराध से जोड़ सके।
अभियोजन पक्ष द्वारा कुल 19 साक्षी प्रस्तुत किये गए तथा मौखिक एवं दस्तावेजी साक्ष्य से अभियोजन पक्ष युक्तियुक्त संदेह से परे यह साबित करने में असफल रहा है कि दिनांक 26-04-2022 को रात्रि करीब 02:00 बजे के आसपास मौजा कांजर बस्ती, कुचामन सिटी में संतोष की गला घोटकर हत्या कारित की हो। अभियुक्त रामफल उर्फ रामपाल आरोपित अपराध धारा 302 भारतीय दण्ड संहिता के अपराध से सन्देह का लाभ प्राप्त कर दोषमुक्त घोषित किये जाने योग्य पाया गया। आरोपी को न्यायालय ने संदेह के लाभ के आधार पर रामफल को दोषमुक्त किया।