Tuesday, May 20, 2025
Homeकुचामनसिटीक्या इस बार भी महेन्द्र के लिए लकी साबित होंगे राज बब्बर ?

क्या इस बार भी महेन्द्र के लिए लकी साबित होंगे राज बब्बर ?

- विज्ञापन -IT DEALS HUB

बाजार में चर्चाओं का दौर गरम, भीतरघात को कैसे टालेंगे महेन्द्र चौधरी

 हेमन्त जोशी @ कुचामनसिटी।  फिल्म स्टार राज बब्बर और कुचामन का पुराना बस स्टैण्ड। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी यहां का नजारा ऐसा ही था।

- विज्ञापन -image description

2013 में राज बब्बर जब कुचामन नहीं आए तो महेन्द्र चौधरी चुनाव हार गए थे। जबकि इससे पहले 2008 के चुनाव में जब महेन्द्र चौधरी ने राज बब्बर को कुचामन बुलाया था, तब उन्हें पहली बार विधायक के चुनाव में जीत मिली थी।

- विज्ञापन -image description
image description

 2008 और 2018 का आंकड़ा तो महेन्द्र चौधरी के लिए राज बब्बर के साथ लकी साबित हुआ था। लेकिन 2003 और 2013  का आंकड़ा महेन्द्र चौधरी के लिए कभी लकी नहीं रहा। अब इसे संयोग माना जाए या अंकगणित के अलावा राज बब्बर का आना, लेकिन इस बार बाजार में चर्चाओं का दौर कुछ अलग ही कहानी बयां कर रही है।

- Advertisement - Physics Wallah

 महेन्द्र चौधरी के लिए अब 2023 का फिगर कैसे लकी या अनलकी रहता है यह तो 3 दिसम्बर को मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।  जी हां, 2013 के विधानसभा चुनाव में किसी कारण से राज बब्बर का आना नहीं हुआ और चुनाव में महेन्द्र चौधरी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। उन चुनावों में महेन्द्र चौधरी करीब 29 हजार वोटों से हारे थे। 

2018 का चुनाव वह करीब 22 सौ वोटों से जीते थे, तब कुचामन में राज बब्बर की सभा करवाई गई थी। प्रदेश कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में राज बब्बर भी  शामिल है।  महेन्द्र चौधरी अपनी जीत के लिए लकी मानते हुए राज बब्बर को ही कुचामन के पुराने बस स्टैंड बुलाते हैं। जबकि इसके अलावा भी शहर में कई बड़े ग्राउंड है।

 कुमावत वोट बैंक को रिझाने का पूरजोर प्रयास

महेन्द्र चौधरी को अपनी जीत की राह आसान नहीं लग रही। विकास के दावे भी जनता के बीच जीत के लिए सटीक साबित नहीं हो रहे है जिसके चलते इस बार महेन्द्र चौधरी अपना पूरा दमखम कुमावत वोट बैंक पर लगाए हुए है। सभा में भी इस बार राज बब्बर के साथ कुमावत समाज के हरियाणा से भी नेताओं को बुलाया गया और स्थानीय कुमावत समाज के नेताओं को मंच पर बैठाया गया।

किस करवट बैठेगा कुमावत समाज

हरीश कुमावत के निधन के उपरांत कुमावत समाज को बड़ा राजनीतिक झटका जरुर लगा है लेकिन कुमावत समाज में  बिखराव नहीं हुआ है। समाज की जाजम और एकजुटता शायद ही बिखरती दिख रही है। अब इसका फायदा या नुकसान किसे होता है, किसे नहीं।  लेकिन समाज अपना नुकसान नहीं करेगा। सामाजिक परिपेक्ष्य में यदि देखा जाए तो कुमावत समाज नावां और कुचामन नगरपालिका में सर्वाधिक देता है।

दोनों ही निकायों में लंबे समय तक कुमावत समाज के ही अध्यक्ष रहे है। यहां तक की कुचामन पंचायत समिति में प्रधानी का मौका भी कुमावत समाज को मिला है। जब विजयसिंह चौधरी 2013 में विधायक बने थे तब भैरुराम कुमावत को प्रधान बनाया गया था। अब यह बात अलग है कि इस समाज को हरबार भाजपा ने ही मौका दिया है।

- Advertisement -
image description
IT DEALS HUB
image description
image description
RELATED ARTICLES
- Advertisment -image description

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!