कंपनी के निदेशक प्रहलादराय, दीपक और पंकज अग्रवाल ने बच्चों को समझाई नमक तैयार करने का प्रोसेस
अरुण जोशी @ नावांशहर। उपखंड मुख्यालय के ग्राम राजास में स्थित पंकज आयोडाइज्ड साल्ट इंडस्ट्रीज में शनिवार को संस्कार स्कूल जयपुर के विद्यार्थी नमक रिफाइंड करने की प्रक्रिया की जानकारी लेने पंहुचे।
विद्यालय के कॉमर्स वर्ग के 11वी व 12वी के 107 बच्चो ने नमक रिफाइंड करने के जानकारी की तथा रिफाइनरी का अवलोकन किया। पंकज आयोडाइज्ड साल्ट इंडस्ट्रीज के निदेशक प्रहलाद राय अग्रवाल, प्रबंधक दीपक अग्रवाल व पंकज अग्रवाल ने बच्चो व विद्यालय प्रबंधन का अभिवादन किया।
इसके साथ ही विद्यालय के अध्यापक सलोनी जैन, दर्शन कौर, कमलजीत वर्मा, अशोक शर्मा व अजय सिंह ने भी बच्चो के साथ अवलोकन किया। इसके पश्चात निदेशक प्रहलाद राय अग्रवाल ने बच्चो को जानकारी देते हुए बताया की विश्व विख्यात सांभर झील के छोर पर स्थित नावां शहर ने देश भर में नमक के लिए अपनी अलग पहचान कायम की है।
नावां ने कुछ वर्षों में नमक नगरी के नाम से अपनी पहचान बनाई है। यहां नमक रिफाइनरियों के बढते प्रचलन के बाद से ही साधारण नमक औद्योगिक इकाईयां बंद हो गई है। इन रिफाइनरियों में नमक की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए इसे रिफाइंड कर नमक में मिले हुए अपशिष्ट को बाहर कर दिया जाता है।
तैयार रिफाइंड नमक में स्वचालित मशीनों से पर्याप्त आयोडीन मिलाने के बाद आईएसआई मार्का की स्टैण्डर्ड पैकिंग की जाती है। पैकिंग के बाद यह नमक ट्रकों व मालगाडिय़ों के माध्यम से देश के हर कोने में पहुंच रहा है।
राजस्थान में सर्वाधिक नमक का उत्पादन नावां में किया जाता है।
प्राकृतिक रुप से बनाया जाता है नमक
कंपनी के निदेशक प्रहलाद राय अग्रवाल व लैब केमिस्ट रतनलाल कुमावत ने बच्चो को बताया की नमक का उत्पादन केवल प्राकृतिक रुप से ही किया जाता है। नमक उद्यमी जमीन पर बड़े क्यार व कंटासर बनाते है। बोरवेल से पानी का दोहन कर उसे कंटासर में डाला जाता है। इसके बाद पानी के एक कंटासर से दूसरे में ओर दूसरे से तीसरे में इस तरह कई कंटासर में घुमाया जाता है।
इससे पानी का खारा पन बढ़ जाता है ओर पानी को लगभग पच्चीस डिग्री तक खारा किया जाता है। इसके पश्चात पानी को क्यारियों में डाला जाता है। तेज धूप के कारण पानी धीरे धीरे नमक के रुप में बदलता रहता है। इसके पश्चात मजदूरों की ओर से नियमित सुबह व शाम पानी को हिलाया जाता है जिसे मारवाड़ी भाषा में गोजणी करना कहते है। इससे नमक जमने में काफी सहुलियत मिलती है। धीरे धीरे सूरज के धूप से पानी नमक में बदल जाता है।
नमक बनने के बाद मजदूर क्यारियों में ही इसे इकट्ठा कर ढेरियां लगाते है। ढेरिया लगाने के दूसरे दिन उस नमक के क्यारियों से बाहर डाला जाता है। जिसे ट्रैक्टरों के माध्यम से नमक प्लान्ट व रिफाइनरी तक पंहुचाया जाता है।
कैसे होता है नमक शुद्ध
प्रबंधक पंकज अग्रवाल ने बच्चो को जानकारी देते हुए बताया की झील के खारे पानी को क्यारियों में डालकर उत्पादित किए गए नमक को शुद्धिकरण के लिए ट्रैक्टरों के माध्यम से रिफाइनरियों में पहुंचाया जाता है। जहां नमक को सीधे हॉपर में डालकर पट्टे के माध्यम से धीरे-धीरे वाटर टैंक में पहुंचाया जाता है। जिसमें करीब २५ डिग्री तक खारा पानी होता है। इस खारे पानी में नमक को मिला दिया जाता है। टैंक में पानी रोटेड व बबल होता रहता है।
जिससे नमक वॉश होता है। तीन टैंकों में वॉश होने के बाद स्लरी को सेंट्रीफ्यूज मशीन में डाला जाता है। जिसमें पानी व नमक दोनों अलग-अलग हो जाते है। इसके पश्चात रॉलर में डाल कर नमक की पिसाई की जाती है तथा तेज तापमान पर सुखा दिया जाता है। सूखने के बाद वाइब्रो चालनों के सहायता से नमक की ग्रेडिंग की जाती है। इस शुद्ध नमक में पर्याप्त आयोडीन मिला कर ऑटोमेटिक मशीनों की मदद से इसकी एक किलो व आधा किलो की आकर्षक पैकिंग की जाती है। यहां से ट्रकों व मालगाडिय़ों से दूसरे राज्यों व शहरों में सप्लाई की जाती है। जहां से लोग खाने में उपयोग लेते है।
औद्योगिक उपयोग में भी लिया जाता है नमक