नावां की राजनीति में अगला कदम उठाएगा कौन?
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हेमन्त जोशी @ कुचामनसिटी। विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ-साथ सियासी गलियारों में भाजपा में दावेदारों की चर्चाएं भी जोरों पर है। नावां विधानसभा क्षेत्र में 1985 से कुमावत समाज भाजपा का वोट बैंक बना हुआ है।
इस समाज से कद्दावर नेता रहे हरीश कुमावत के निधन के बाद अब कुमावत विकास समिति के अध्यक्ष एवं जिला परिषद सदस्य बाबूलाल कुमावत पलाड़ा चुनावी बिगुल बजाने को तैयार है।
इन दिनों प्रमुख राजनीतिक दलों में टिकट वितरण समितियां सक्रिय हो गई है। राजनीति दलों ने पूरे प्रदेश में अपने स्तर पर सर्वे भी करवाए है। जिसके आधार पर टिकटों के वितरण की रुपरेखा एवं अपनी-अपनी जीत की तैयारियां भी शुरु कर दी गई है। टिकट मांगने वाले दावेदार जहां सक्रिय होकर कार्य कर रहे हैं वहीं राजनीतिक दल भी अपना दम-खम दिखाने के लिए प्रयासरत है।
भाजपा जहां कांग्रेस सरकार को भ्रष्टाचार और अन्य मुद्दों पर घेरने का प्रयास कर रही है वहीं कांग्रेस लोकलुभावनी योजनाओं से जनता का दिल जीतने का प्रयास कर रही है।
हम बात कर रहे हैं नावां विधानसभा क्षेत्र की। यहां की राजनीति पर नजर डाले तों यहां भाजपा का प्रमुख वोट बैंक रहा है कुमावत समाज। पार्टी के परंपरागत वोट बैंक में ब्राह्मण, महाजन के साथ अब जाट समाज भी भाजपा के साथ आ गया है। नावां विधानसभा में ईमानदार और बेदाग छवि से चार बार विधायक रह चुके हरीश कुमावत का पिछले दिनों निधन हो गया। कारण भी स्पष्ट है कि कुमावत को पार्टी के वोटों के साथ-साथ कुमावत समाज का भी पूरा समर्थन रहा।
कुमावत समाज नागौर जिले की नावां विधानसभा के साथ-साथ सीकर के दातां-रामगढ़ सीट व जयपुर की फुलेरा सीट पर भाजपा समर्थित वोट बैंक है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की उपेक्षा के बाद कुमावत समाज की नाराजगी का भी भाजपा को नुकसान हुआ था। अब कुमावत विकास समिति के अध्यक्ष बाबूलाल कुमावत पलाड़ा भाजपा से अपनी राजनीति ताल ठोक रहे हैं।
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राजनीति की ओर बढ़ते कदम…
नावां में कुमावत समाज के वापस एकजुट रखने के साथ ही समाज के विकास व राजनीतिक एकजुटता के लिए प्रयासरत बाबूलाल कुमावत पलाड़ा मजदूर परिवार से निकल कर मजदूरी करने के बाद आज जयपुर में रेडीमेड गारमेंट्स की फैक्ट्री स्थापित करके आज सैंकड़ो परिवारों को रोजगार दे रहे हैं। इनके पिता भी मजदूरी करके ही परिवार पालते थे। गरीब परिवार से निकल कर कुमावत ने विद्यार्थी जीवन से ही हिंदूवादी चेहरे के रूप में अपनी पहचान बनाई।
जिला परिषद चुनाव जीतकर जुटे सेवा कार्यों में
2006 से बाबूलाल कुमावत भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रुप में अपनी सेवाएं पार्टी में देने लगे। 2020 में कुमावत ने नागौर जिला परिषद के चुनाव में भी करीब 6 हजार वोटों से जीत प्राप्त कर कांग्रेस के नेता को हराया था।
भाजपा में भी निभा रहे दायित्व
इसके बाद भाजपा में आबोसी मोर्चा अलवर में जिला समन्वयक, ओबीसी मोर्चा में प्रदेश कार्य समिति सदस्य व ओबीसी मोर्चा के अजमेर शहर प्रभारी के रुप में दायित्व निभा रहे हैं। सामाजिक दृष्टिकोण से कुमावत कुमावत विकास समिति के अध्यक्ष के रुप में समाजसेवा कर रहे हैं। कुमावत सांगलिया धूणी के भक्त होने के साथ ही धार्मिक संगठनों में भी भागीदारी निभाते हैं। हिन्दू धर्म को लेकर सनातन पुनरोदय पुस्तक का भी प्रकाशन करवाया गया।
समाजसेवा में तत्परता
कुमावत समाज के सर्वांगीण विकास के लिए बाबूलाल कुमावत ने भवन निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग किया। समाजसेवा में अग्रणी रहने के चलते उन्हें कुमावत विकास समिति का अध्यक्ष मनोनीत गया।
समय समय पर की मदद
समय-समय पर कुमावत ने अपने समाज व गरीब व पिछड़े हुए लोगों की आर्थिक रुप से मदद करने के साथ ही विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों में भी अपना आर्थिक सहयोग प्रदान किया है। विद्यालयों के विकास एवं जरुरतमंद विद्यार्थियों को शिक्षण सामग्री एवं गणवेश का भी समय-समय पर वितरण किया जाता है। जिससे कुमावत ने सर्वसमाज में अपनी अलग पहचान बनाई है। कोरोनाकाल मे भी कुमावत ने सर्वसमाज के लोगों की मदद की थी। वर्तमान में भी सैलून पर उनकी सामग्री वितरण कर रहे हैं। इनका छोटा भाई धनेश सेना में अपनी सेवाएं दे रहा है।
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बदलाव समय की मांग
नावां कुचामन विधानसभा के लोग भाजपा में नए चेहरे को देखना चाहते है। खास कर कुमावत समाज अपनी परंपरागत सीट बचाना चाहता है। इसी के चलते बाबूलाल कुमावत की दावेदारी भी मजबूत है। समाज के साथ साथ सर्व समाज में भी लोकप्रियता अन्य दावेदारों से अधिक हैं। कुमावत का मानना है कि अगर पार्टी टिकट देती है तो भाजपा को अच्छे मतों से जीत दिलवाई जा सकती हैं।
4 बार विधायक रहे कुमावत
1985 से यहां पर 8 विधानसभा चुनावों में से 4 चुनाव हरीश कुमावत ने जीते है। कुमावत समाज का एकजुटता के साथ पार्टी के प्रति समर्पित होने के चलते ही यहां भाजपा मजबूत है। पिछले चुनाव में कुमावत समाज की उपेक्षा के चलते ही यहां से भाजपा को अपनी सीट गंवानी पड़ी थी। खास बात यह भी है कि नागौर जिले में नावां विधानसभा सीट ही एकमात्र सीट है जहां मूल ओबीसी से कुमावत समाज को टिकट दी जा सकती है।
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