Sunday, June 1, 2025
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जवारे का यह रस अमृत रस नहीं है… डॉक्टर शर्मा

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 डॉक्टर रामावतार शर्मा @जयपुर

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गेहूं का जवारा (व्हीट्ग्रास) गेहूं के पौधे की पहली प्रस्फुटित पत्तियां कहलाती हैं परंतु गेहूं की तरह इनमें ग्लूटेन नहीं होता है।  पिछले कई सालों से जवारे का रस काफी लोकप्रिय हो रहा है और लोग इसको हरा खून भी कहते हैं। उनके अनुसार जवारे का रस चमत्कारिक फायदे करता है और इसके सेवन से उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, संतानहीनता, थैलेसीमिया, सफेद दाग, पुरुषत्व हीनता, दंत रोग, आंखों के रोग, मांसपेशियों तथा जोड़ों के दर्द, अस्थमा और पेट के कितने ही रोग ठीक हो जाते हैं।

 

अब जरा सोचें तो क्या यह सारा वृत्तांत किसी देवलोक की बात जैसा नहीं लगता? यह कैसे संभव है कि एक अकेली पत्ती में हर तरह के रोगों और व्याधियों को ठीक करने की क्षमता समा जाए?

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आप गेहूं की पत्ती को निकट से देखेंगे तो आपको ऐसा लगेगा कि जैसे किसी चित्रकार ने गहरे हरे रंग की एक रेखा बना दी हो। जवारे की पत्तियों में कोई भी शिराएं नहीं होती हैं जो कि आप अन्य पत्तियों में देखेंगे। ध्यान रहे, इन्हीं शिराओं में विभिन्न प्रकार के तत्व मौजूद रहते हैं जैसे कि कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम,  सोडियम आदि। आपको जवारे की पत्ती में इस तरह की कोई शिराएं नजर नहीं आएंगी। घने हरे रंग की ये पत्तियां क्लोरोफिल नामक हरे रंग के पदार्थ को अपने अंदर रखती हैं जो प्रकाश संश्लेषण  (फोटोसिंथेसिस) प्रक्रिया को पूर्ण करता है जिनमें कार्बन तो धरती से लिया जाता है और ऑक्सीजन और हाइड्रोजन  पानी से प्राप्त किए जाते हैं और फिर सूरज की किरणों की सहायता से कार्बोहाइड्रेट बनाए जाते हैं जो कि गेहूं के पौधे के लिए भोजन का कार्य करते हैं।
एक और बात प्रचारित की जाती है कि जवारा मैग्नीशियम का बहुत अच्छा स्त्रोत है पर सामान्य लागों में मैग्नीशियम की कमी नहीं पाई जाती है क्योंकि यह हर तरह के अन्न में मौजूद होता है, इसके अतिरिक्त हर बीज, हरी पत्तियों तथा ताजा सब्जियां में मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में होता हैं। मांसाहारी भोजन में यह प्रचूर मात्रा में होता है।

इस तरह से हम देखते हैं कि जवारे का रस न कोई अद्वितीय औषधि है और ना ही विभिन्न तत्वों का स्त्रोत है तो जो हरे खून का सिद्धांत हमारे सामने रखा गया है वह महत्वहीन है। रक्त का सबसे पहला कार्य ऑक्सीजन को शरीर की हर कोशिका तक पहुंचाना है और यह कार्य हीमोग्लोबिन के द्वारा सम्पन्न होता है।  हीमोग्लोबिन से मिलता-जुलता होना हीमोग्लोबिन होना नहीं है क्योंकि उसमें लोह तत्व होता है जो आक्सीजन को अपने साथ बांधने में सक्षम होता है। जहां तक जवारे में मौजूद क्लोरोफिल का सवाल है तो दो बातें स्पष्ट समझने की आवश्यकता है।

पहली बात तो यह कि मनुष्य प्रकाश संश्लेषण की क्षमता नहीं रखता, यह कार्य पेड़ पौधे ही कर सकते हैं। दूसरी बात है कि मानव शरीर क्लोरोफिल का अवशोषण भी नहीं कर सकता है, इस तरह से क्लोरोफिल मनुष्य के शरीर के लिए एक महत्वहीन पदार्थ है। कुछ लोग मानते हैं क्लोरोफिल आंतों के कैंसर में कैंसर कोशिकाओं के झुंड को अपने में समाहित करके शरीर से बाहर निकालने में कुछ सहायता कर सकता है लेकिन विभिन्न तरह के जो अनुसंधान हुए हैं अभी तक किसी ने भी इस बात की पुष्टि नहीं की है।
इसके अलावा जवारे की उपयोगिता पर जो भी अध्ययन हुए हैं अभी तक वह तकरीबन सारे ही  प्रयोगशालाओं में हुए हैं। सामान्य रूप से जो प्रयोग किए जाते हैं वे आबादी में विभिन्न जातियों, समुदायों, क्षैत्राें, सामाजिक तथा आर्थिक समूहों आदि को सम्मिलित करके किए जाते हैं और नियंत्रित व अनियंत्रित स्थितियां दोनों को ध्यान में रखते हुए होते हैं। फिर विभिन्न तरह के आंकड़ों को इकट्ठा किया जाता है और उनके परिणामों का गहनता से अध्ययन किया जाता है। जवारे के रस पर ऐसे किसी भी अनुसंधान की जानकारी कहीं पर भी उपलब्ध नहीं है। कुछ लोगों का यह कह देना कि इस रस को पीने से हमें बहुत फायदा हुआ तो यह बात वैज्ञानिक कसौटी पर खरी नहीं उतरती है।
अब यदि आप इस हरे अमृत के प्रशंसक हैं तो आप बने रहिए क्योंकि इसका उपयोग एक भावनात्मक निर्णय है।  भावनाएं कुछ अवधारणाओं पर आधारित होती हैं और लोग आसानी से उनको बदलना नहीं चाहते। दुनिया में बहुत सारी धारणाएं इसी आधार पर चल रही हैं। जवारे के रस का स्वाद अच्छा होता है, जीवन में स्वादिष्ट चीज का आनंद लेना कोई बुराई नहीं है। शरीर को इससे कोई नुकसान नहीं होता। परंतु एक बात का ध्यान जरूर रखें कि यदि चमत्कार की उम्मीद करेंगे तो एक समय के बाद आपको निराशा ही हाथ लगेगी।
मानवीय जीवन में मिथक एक विशेष स्थान रखता है। हर  मिथक की अपनी खुद की एक ताकत होती है जिसकी वजह से वह सदियों तक जिंदा रहता है, उसको उसके स्थान से हटाना किसी तार्किक के बस का नहीं है। भावनाओं और पूर्वाग्रहों की दीवारें तर्क से नहीं ढहाई जा सकती इसलिए गेहूं के जवारे का रस पीते रहिए पर हरी सब्जियां, फल आदि को मत भूलिए। संतुलित एवम् पौष्टिक भोजन के साथ एक गिलास जवारे का रस पीकर आप अपनी धारणा के साथ जी सकते हैं कि आप के शरीर में अथाह ऊर्जा का प्रवाह हो रहा है।

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