अरुण जोशी. नावांशहर। श्री क्षार्थ पुरुषार्थ फाउंडेशन के बैनर तले बुधवार को नावा में अनारक्षित वर्ग के लोगों ने आर्थिक आधार पर आरक्षण ईडब्ल्यूएस की विसंगतियां दूर करने एवं ईडब्ल्यूएस आरक्षण की सीमा 14% करने तथा पंचायती राज ओर अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं में ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर नावा उपखंड अधिकारी अंशुल सिंह को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। राजस्थान सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए आर्थिक आधार पर आरक्षण व्यवस्था को संभव बनाया वही आरक्षण व्यवस्था के कारण उत्पन्न हो रहे असंतुलन को ठीक किया। इसके लिए संपूर्ण अनारक्षित वर्ग द्वारा आभार प्रकट किया गया। आरक्षण में अनेक विसंगतियां है जिसके कारण अनारक्षित वर्ग का आर्थिक पिछड़ा परिवार इस आरक्षण का पूरा लाभ नहीं ले पाता है प्रतिस्पर्धा में अन्य वर्गों से पिछड़ जाता है। इसमें समाधान कर आरक्षण को व्यवहारीक व व्यापक बनाने की मांग करते हुए सभी पात्र परिवार को लाभान्वित करने की बात कही।
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राज्य सरकारों ने अपने राज्यों के लिए राज्य की परिस्थितियों के अनुसार इन में संशोधन किए जैसे गुजरात, राजस्थान आदि ने संपत्ति संबंधी शर्तें हटाकर केवल आठ लाख की वार्षिक आय को ही मापदंड माना, वही संपूर्ण भारत के लिए एक प्रकार के शर्ते रखने की अपेक्षा संबंधित राज्य द्वारा तय नियमों अनुसार बने पात्रता प्रमाण पत्रों को ही केंद्र के लिए अनुमति किया जाए ताकि राज्य और केंद्र के अलग-अलग प्रमाण पत्र बनाने नही पड़े। इन प्रावधानों के कारण राज्य की नौकरियों और केंद्र की नौकरियों के लिए बने प्रमाण पत्रों का अनुपात 70 : 31 का है ,उसमें भी मरुस्थलीय क्षेत्र के जिलों में तो इसका अंतर बहुत अधिक है। आरक्षण में अधिकतम आयु सीमा, न्यूनतम अहर्ताक, फीस आदि में भी अन्य वर्गों को मिले आरक्षण की तरह छूट का प्रावधान किया जाए। इस वर्ग के अभ्यर्थी भी अन्य के साथ स्वास्थ्य प्रतिस्पर्धा कर सके साथ ही इसकी वैधता को 1 वर्ष की अपेक्षा 3 वर्ष किया जावे। पूरी प्रक्रिया प्रतिवर्ष करने की अपेक्षा शपथ पत्र के आधार पर इसका नवीकरण करवाने की सुविधा करने की मांग की। आरक्षण में आय की ईकाई परिवार को माना गया है और परिवार की परिभाषा में स्वयं के अतिरिक्त माता पिता, पति पत्नी एंव भाई बहन आदि को शामिल किया गया है जिसके कारण प्रक्रियागत परेशानी पैदा होती है । आय की गणना प्रक्रिया जटिल है ओर अव्यावहारिक हो जाती है। विशेष रूप से विवाहित महिलाओं को पीहर और ससुराल दोनों जगह के प्रशासनिक कार्यालय में चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसलिए परिवार की आय की गणना में अन्य आरक्षण में क्रिमिलेयर की गणना की तर्ज पर केवल माता-पिता की आय को गणना का आधार बनाने की मांग की। अन्य आरक्षित वर्गों की तरह छात्रवृत्ति, छात्रावास आदि की सुविधा एवं संबंधित समस्याओं के समेकित समाधान के राष्ट्रीय आर्थिक पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया जाए ताकि इस वर्ग के हितों का नियंत्रण हो सके। ईडब्ल्यूएस आरक्षण की सीमा 14% करने व पंचायतीराज तथा अन्य स्वायत्तशासी संस्थाओं में ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने की मांग करते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने 20 जनवरी 2019 को अनारक्षित वर्गों को आर्थिक आधार पर आरक्षण का नोटिफिकेशन जारी किया जिस के क्रम में 20 मई 2019 को राजस्थान में भी इसे लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। विभिन्न स्तरों पर हुई मांग का 20 अक्टूबर 2019 को इसकी शर्तों का सरलीकरण करने का भी ऐतिहासिक कार्य सरकार द्वारा किया गया लेकिन राजस्थान विधानसभा में 16 जुलाई 2008 से 23 सितंबर 2015 को सर्वसम्मति से अनारक्षित वर्गों को 14% आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का विधेयक पारित किया गया था जबकि वर्तमान आरक्षण 10% ही दिया गया है। संविधान द्वारा अनुच्छेद 15 (6) व 16 (6) के अंतर्गत दिए अधिकार का उपयोग करते हुए आरक्षण को 10 से 14% किया जावे जिससे अनारक्षित वर्ग को लाभ मिल सके। इस अवसर पर धर्मेंद्र सिंह लिचाना, महेश बोहरा, रघुवीर सिंह नरूका, पृथ्वी सिंह राठौड़ जाबदीनगर, देवी सिंह राठौड़, मूल सिंह राजावत, ओम सिंह, गजेंद्र सिंह आदि उपस्थित रहे।