हेमंत जोशी@कुचामनसिटी।
लोकतान्त्रिक व्यवस्था के सबसे बड़े देश की सर्वोच्च संस्था संसद को लोकार्पण और उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाले सांसदों को यदि इतनी नाराजगी है तो उन्हें अपने सांसद पद से भी त्याग पत्र दे देना चाहिए और प्रधानमंत्री को दिखा देना चाहिए कि हम नए संसद भवन नहीं बैठेंगे। शुभारम्भ का बहिष्कार करने के बाद इन सांसदों को ऐसे भवन में बैठने का भी कोई अधिकार नहीं है।
KuchamaDi News – यह कहना है हिन्दू महासंघ के नेता व कुचामन नगरपरिषद में प्रतिपक्ष नेता अनिलसिंह मेड़तिया का। मेड़तिया ने नए संसद भवन के लोकार्पण समारोह को लेकर यह बड़ी बात कही है। उनका कहना है कि आज प्रधानमंत्री ने देश की सर्वोच्च संस्था संसद का लोकार्पण किया है। जिसका विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया है।
यह बहिष्कार इसलिए है कि नए संसद भवन में सेंगोल स्थापित किया गया है। संसद के लोकार्पण में भारत के संतों को बुलाया गया है और हिन्दू रीति रिवाज से पूजा अर्चना के साथ संसद भवन का शुभारम्भ किया गया है। यह विपक्षी दलों को रास नहीं आ रहा है। कारण भी स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी हिंदुत्व की छवि के नेता है और संसद भवन का लोकार्पण भी उनके कर कमलों से सेंगोल की स्थापना के साथ किया गया है।
KuchamaDi News- मेड़तिया ने कहा कि आज देश विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है, जिससे विपक्ष बौखला गया है। विपक्ष के मोदी का हिंदुत्व रास नहीं आ रहा है। मेड़तिया ने कहा कि देश के इतिहास से निकाल कर राजदण्ड को संसद में स्थापित करना देश के लिए गौरव की बात है। विपक्ष ने ही पहलवानों की आड़ में आज के समारोह को बिगाड़ने का कुत्सित प्रयास किया था। जिसे देश के सैनिकों ने सख्ती से रोका। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री मोदी से विपक्ष इतना घबरा रहा है तो फिर आने वाले सालों में जब योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री बनेंगे तब इनका क्या हाल होगा। मेड़तिया का कहना है कि देश की जनता सब कुछ देख रही है और समझ रही है कि आखिर देश मे क्या हो रहा है। क्यों विपक्ष संसद के लोकार्पण का बहिष्कार कर रहा है क्यों पहलवानों से विरोध कराया जा रहा है। इसके पीछे कौनसी देश विरोधी ताकतें काम कर रही है।
सुबह सद्बुद्धि यज्ञ और शाम को मांगे मानने पर धरना और अनशन समाप्त