Friday, November 1, 2024
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फर्जी नाम, फर्जी काम, फिर भी ना ठोस कार्रवाई और ना ही खुलासा, प्रमुख अखबारों से भी खबर गायब- आखिर क्या है माजरा

फर्जी कंपनी का नाम व fssai नंबर लिख बेच रहे नमक,
पुलिस ने भी नही की प्रभावी कार्यवाही, माल जब्ती में भी नहीं पारदर्शिता, प्रमुख अखबार भी खबर को छिपाने में जुटे

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अरुणजोशी.नावांशहर

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नमक का कारोबार जितना चमकदार और सफेद है, उतना ही दागदार और काला भी है। नमक के काले कारोबार की एक बानगी हाल ही सामने आई है। जिसमें नावां की 2 कंपनियों में टाटा नमक का नकली नमक तैयार किया जा रहा था। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर माल भी जब्त किया। जिसका पुलिस अधीक्षक कार्यालय से प्रेस नोट भी जारी हुआ। इसके बावजूद प्रमुख अखबारों से खबर गायब और जब्त किया माल भी कम है।

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उत्तरी भारत की सबसे बड़ी नमक मंडी में सालाना करोड़ों रुपए का व्यापार होता है। यहां नमक के कई बड़े ब्रांड की नकल की जा रही है।  अधिकांश नमक रिफाइनरियां टाटा के कॉपी राइट के नियमो का उल्लंघन कर नाम में थोड़ा बदलाव कर नमक के पैकेट तैयार करते है। इससे अन्य राज्यो में लोग टाटा के स्थान पर यह नकली ब्रांड का नमक खाते है। टाटा के अलावा अन्य नामी कंपनियों के नाम से भी फर्जीवाड़ा कर नमक के पैकेट तैयार करते है और बाजार में बेचते है। लेकिन इन पर प्रभावी कार्यवाही नहीं होने के कारण यह गौरखधंधा चल रहा है। टाटा कंपनी की और से शनिवार को मुंदड़ा केमिकल्स व मारुति साल्ट पर के खिलाफ पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया गया। दोनो नमक इकाइयों पर टाटा के स्थान पर ताजा नमक भरा जा रहा था।


फर्जी कंपनी व fssai नंबर
टाटा नमक के नाम पर ताजा नमक की सेमी रिफाइंड नमक की थैली भरी जा रही थी। दोनो इकाइयों के संचालकों ने पैकेट पर अपनी कंपनी का नाम नहीं लिख रखा था। ताजा की थैली पर रमेश साल्ट कम्पनी के नाम से फर्जी नाम एड्रेस डाला हुआ था। ऐसी नाम की कम्पनी नावां में कहीं नहीं है। इसके साथ ही थैली पर फर्जी fssai लाइसेंस नंबर भी फर्जी डाले हुए थे। जो की एक कानूनी अपराध है। इसके बावजूद जहां मीडिया मामले को दबाने का प्रयास कर रहा है वहीं पुलिस की कार्रवाई पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। आखिर इनके खिलाफ धोखाधड़ी और नकली खाद्य सामग्री की धाराएं भी जुड़नी चाहिए और ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए।
घटना होने पर आसानी से बच सकते है नमक उद्यमी
टाटा के नाम पर ताजा की थैली बनाकर उसमें निम्न गुणवत्ता का नमक भरा जाता है। देश के किसी भी कौने में इस नमक के सेवन से कोई जनहानि या घटना होती है तो फर्जी नाम, पता व फर्जी fssai लाइसेंस नंबर से कोई भी नही पकड़ा जाता है।

आखिर कैसे खबर रोकने का हुआ प्रयास

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नमक उद्यमियों की और से बड़े अखबारों के पत्रकारों को मैनेज किया गया। जिसके कारण किसी भी समाचार पत्र में इस न्यूज का प्रकाशन नही किया गया। जबकि पुलिस अधीक्षक कार्यालय नागौर से प्रेस नोट व फोटो भी जारी किए गए थे।

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