मौसम की बेरुखी से गेहूं की कम पैदावार से जहां किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है वहीं पशु चारे की महंगाई की मार से पशुपालक भी नहीं बच पा रहे हैं।
विमल पारीक. कुचामनसिटी। जिले सहित पूरे क्षेत्र में लगातार गिरते भूजल स्तर से जहां पानी की कमी हो रही है। वही पशु चारे का उत्पादन बहुत कम होने से पशु चारे के भाव आसमान छूने लगे हैं। जिस कारण किसानों व पशुपालकों के सामने पशुओं को पालने में समस्या उत्पन्न हो गई है। यदि चारे के भाव इसी तरह बढ़ते रहे तो किसानों ओर पशुपालको को अपने पशुओं को पालने में विवश होंगे और छोड़ने पर मजबूर होना पड़ेगा।
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किसानों ने बताया कि क्षेत्र में पर्याप्त बरसात नहीं होने के कारण भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। जिससे कुओं और यूट्यूबेलो में पानी सूख गया है। जिसके कारण पशु चारे की कमी हो गई है और चारे का भाव बढ़ते जा रहे हैं। जिसके चलते किसानों व पशुपालकों के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है। उन्होंने बताया कि पर्याप्त मात्रा में पशु चारा नहीं मिलने से पशुओं के दूध में भी कमी आई है। क्षेत्र में गत वर्ष चारे का भाव 600 से 700 सौ रूपये प्रति क्विंटल थे। वहीं इस बरस चारे के भाव 1100 से 1400 सौ रुपये प्रति क्विंटल भाव में बिक रहा है। दूध ना देने वाले पशुओं को पालना भी पशुपालकों को भारी पड़ रहा है। पशुपालकों के सामने सबसे बड़ी समस्या पशु चारे (तूड़ी)के भाव ने पिछले कई बरसों के रिकॉर्ड तोड़ दिया है। ऐसे में पशुपालकों के लिए पशु पालना घाटे का सौदा साबित हो रहा है। पशुपालकों के सामने चारे का संकट खड़ा हो गया है। पशुपालकों को क्षेत्र में भूसा तथा ज्वार बाजरा की कुटी किसी भाव में उपलब्ध नहीं हो रही है। ऐसे में पशुपालक अपने पशुओं को भरपेट चारा भी नहीं खिला पा रहे हैं। कुछ किसान थोड़ा भूसा तथा घास पूस और हरा चारा मिलाकर पशुओं का पेट भर रहे हैं। चारे का भाव अधिक होने के कारण दूध नहीं देने वाले पशुओं को बेच रहे हैं। दुधारू पशुओं के लिए पशुपालन महंगे दामों में चारा खरीद कर जैसे तैसे करके पशुपालक अपने पशुओं का पेट भर रहे हैं। चारे की गंभीर समस्या हो गई है। पशु पालक और किसानो को चारे के लिए गांव-गांव भटकना पड़ रहा है। मौसम व प्रकृति तो रूठी है लेकिन चारे की गंभीर समस्या को देखते हुए तत्काल प्रभाव से सरकार को चाहिए कि जगह-जगह चारा डिपो खोलकर पशुओं को बचाया जा सकता है।
पशु आहार भी महंगा दूध के भाव नहीं बढ़े
इस समय पशु आहार खाळ-चुरी, काकड़ा सहित सभी आहार महंगे है। पशु चारा भी महंगा होने से पशुपालकों को पशुओं को चराना महंगा पड़ रहा है। चारा सहित अन्य खाद्य सामग्री बहुत महंगी हो गई है। लेकिन दूध का पहले जितना भाव है। जबकि चारे का भाव ज्यादा है। मौजूदा हाल में पशुपालकों को बचत नहीं हो रही है। जितना पशु आहार खा रहे हैं उतने में दूध नहीं बिक रहा है। सारे खर्च लगाने पर पशुपालकों को घाटा होने लगा है। जिसको लेकर पशुपालकों मे चिंता बढ़ गई है। गायों की सबसे ज्यादा दुर्दशा हो रही है। गौशालाए होने के बावजूद गायों के झुंड इधर-उधर चारे के लिए भटक रहे हैं। चारे के भाव आसमान छूने से पशुपालक भी गायों पर ध्यान नहीं देते हैं। जिससे क्षेत्र में गायों की सबसे ज्यादा दुर्दशा हो रही है।
सरकार को चाहिए कि चारा डिपो खोले
किसान परसाराम जाट ने बताया कि महंगाई के दौर में किसानों के सामने परिवार पालने के लाले पड़े हुए हैं साथ ही पशुओं को चारा खिलाने की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। ऐसे में महंगे चारे के अलावा कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। चारे की कालाबाजारी हो रही है। व्यापारी दूर-दूर से सस्ते दामों में चारा खरीद कर दोगुने दामों में बेच रहे हैं। जिसमें जमकर कालाबाजारी हो रही है और चारे के व्यापारी बिना लाइसेंस के व्यापार करके राजस्व हानी कर रहे हैं। चारे की किल्लत को देखते हुए सरकार को चाहिए कि जगह-जगह चारा डिपो खोलकर पशुओं को बचाने का काम किया जा सकता है।