हेमन्त जोशी
सांभर झील. नमक सेहत के लिए भी उतना ही जरुरी है जितना हमारे खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए है। पिछले कुछ दिनों से नमक को चमकाने का नया खेल शुरू हुआ है। चंद लोग अपने कुछ मुनाफे के लिए इसी नमक की आड़ में आम जन की सेहत से खिलवाड़ कर रहे है। रिफाइनरी संचालक भी कचरे का कुछ मुनाफा पाकर खुश हो रहे है। जो नमक में सल्फेट, आयरन सहित अन्य हानिकारक लवण भी शामिल है, जो सेहत के लिए हानिकारक है। यह लवण पानी में घुलनशील तक नहीं है। मोटे मुनाफे की आड़ में ऐसा खेल हो रहा है। चंद लोगों की बेईमानी और मक्कारी के आगे आम उपभोक्ता लाचार और बेबस है। आखिर क्यों, जनता को धोखा देकर धीमा जहर खिलाया जा रहा है? सल्फेट ऐसा लवण है जो एक मात्रा से अधिक शरीर में जाकर पेट, लीवर व आंतों को भी नुकसान पहुंचाता है। जब इस जहर का असर होगा तो जनता माफ नहीं करेगी। उन्हें तो शायद यह भी नहीं मालूम कि वह जो नमक खा रहे है वह कैसे बना हुआ है। सब यही तो जानते है कि सांभर झील के खारे पानी से बना नमक खा रहे है। क्यों चंद पैसों के लिए नमक नगरी की आभा और नमक की चमक को धूमिल किया जा रहा है? एक बार जनता का यहां के नमक से भी विश्वास उठ गया तो फिर अरबों के इस कारोबार के कोई मायने नहीं रह जाऐंगे। नावां के कुछेक प्लांट व कुचामन के कई प्लांटों में नकली ब्रांड्स में ऐसे ही नमक को पीस कर बेचा जा रहा है। जो नुकसानदायी है। कई नमक उद्यमी तो यह दलीलें दे रहे है कि यह नमक हम इंडस्ट्री में भिजवा रहे है लेकिन सच्चाई यह भी है कि गांवों के लोग आज भी नमक को खाने वाला नमक ही मानते है। कई प्लांटों में इसके पैकेट भी बनकर तैयार हो रहे है। अब एक-एक किलो के पैकेट का नमक तो इंडस्ट्रीज में नहीं जाता। ऐसे चंद लोगों के चलते पूरी नमक मण्डी की साख पर भी तो बट्टा लग रहा है। जिनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए उनको समर्थन देना भी गलत है। जिम्मेदार अधिकारियों को तो इसकी पूरी जानकारी भी नहीं है कि कैसे नमक का यह काला कारोबार फल फूल रहा है। इस पर ठोस कार्रवाई होगी तभी जनता सुरक्षित रहेगी। अधिकारियों को नमक के साधारण पिसाई वाले संयत्रों पर निगरानी रखनी चाहिए। जिससे उपभोक्ताओं की सेहत से खिलवाड़ नहीं हो।
Good
Comments are closed.