सांभर झील में हो रहा है पानी का दोहन

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प्रशासन कर रहा लीपापोती की कार्यवाही
नावां शहर। विश्व विख्यात खारे पानी की झील में अवैध नलकूपों से भूगर्भ के पानी का जमकर दोहन किया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि क्षेत्र में भूजल का स्तर लगातार गिरता ही चला जा रहा है। यदि यह सिलसिला चलता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा कि क्षेत्र के भूगर्भ में एक बूंद पानी नहीं रहेगा। डार्क जोन होने के बावजूद झील में प्रतिदिन अवैध नलकूप खुदवाए जा रहे है। लेकिन प्रदेश का सबसे बड़ा नमक उद्योग होने के चलते इस बंद किया जाना भी मुनासिब नहीं है।
सांभर झील के मुहाने पर स्थित नावां शहर पिछले दो दशक में एक बड़ी नमक औद्योगिक नगरी में रूप में उभर कर सामने आया है। दो दशक पूर्व तक सांभर झील में कुछेक नलकूपों से ही खारे पानी (ब्राइन) का दोहन कर नमक बनाया जाता था। वर्षा से झील में पानी की आवक होने के बाद भूगर्भ का पानी पुन: रिचार्ज हो जाता। लेकिन इन दो दशकों में झील में आने वाली सभी नदियों व नालों के रास्तें बंद कर दिए गए है। इसके पश्चात सांभर साल्ट की ओर से गत तीन वर्षो में हजारों की सैंकड़ों की तादाद में बोरवेल खुदवाने के साथ ही सैंकड़ों कुएं व दर्जनों कैनाल बनाकर जमकर दोहन किया जा रहा है।

सभी नमक उत्पादकों की तुलना में सांभर साल्ट भी बराबर दोहन करता है। जबकि सांभर साल्ट एक सरकारी उपक्रम है ओर झील की देखरेख की जिम्मेदारी भी कम्पनी की है। लेकिन सांभर साल्ट स्वयं झील का अस्तित्व खत्म करने में लगा हुआ है। झील में हजारों नलकूपों के माध्यम से प्रतिदिन लाखों लीटर पानी का दोहन हो रहा है। सरकार की ओर से झील में पानी लाने के लिए कई योजनाएं बनाई गई लेकिन सब फाइलों में ही दफन हो गई। इसी का परिणाम है कि नावां सहित समूचे क्षेत्र में भूगर्भ का पानी रसातल में पहुंच गया है। समय रहते गौर नहीं किया गया तो आम जन के लिए अपने हलक की प्यास बुझा पाना दुश्वार हो जाएगा।
झील पर एक नजर- सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डेढ दशक पूर्व तक झील में भी भूगर्भ का वाटर लेवल सत्तर से सौ फीट पर था। धीरे-धीरे जल का दोहन बढने लगा और वाटर लेवल गिरता गया। एक दशक पूर्व तक पानी दो सौ से ढाई सौ फीट पर था। लेकिन अब यह जल स्तर करीब पांच सौ सात सौ फीट तक पहुंच गया है। इतनी गहराई पर जाकर झील में नमक के लिए खारा पानी निकाला जा रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्षेत्र में आने वाले समय में पानी की क्या स्थिति रहेगी।
कैसे गिर रहा है भूजल स्तर- सांभर झील अजमेर, जयपुर व नागौर जिले के कुछ भूभाग के डूब क्षेत्र में स्थित है। इन जिलों के कई नदी व नाले इसी झील में आते थे। भूगर्भ का जल भी इसी दिशा में प्रवाहित होता है। झील में अत्यधिक जल दोहन से समूचे क्षेत्र के भूगर्भ का पानी जहां खारा हो गया है वहीं जल स्तर भी गहरा गया है।
प्रशासन करता आ रहा लीपापोती की कार्यवाही- प्रशासनिक उच्च अधिकारियों की ओर से समय समय पर झील संरक्षण हेतु अभियान चलाया जाता आ रहा है। झील संरक्षण का मुद्दा एनजीटी में जाने के बाद कोर्ट की ओर से भी प्रशासनिक अधिकारियों को झील से अवैध गतिविधियों को खत्म करने के आदेश दिए गए। लेकिन हर बार प्रशासन की ओर से लीपापोती की कार्यवाही की जाती आ रही है। अब गतदिनों मुख्य सचिव की ओर से जिला कलेक्टर को झील से अवैध बोरवेल, पाइप लाइन व केबिलें हटाने से आदेश जारी किए गए। लेकिन स्थानीय प्रशासन अब भी समग्र रूप से कार्यवाही नहीं कर रहा है।