Thursday, November 21, 2024
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कुचामन न्यूज़: पंडित मेघराज शास्त्री ने कहा- दीपावली इस वर्ष 1 नवंबर 2024 को मनाई जानी चाहिए

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कुचामन न्यूज़: पंडित मेघराज शास्त्री ने बताया है कि हिंदू धर्म का सबसे बड़ा पर्व दीपावली इस वर्ष 1 नवंबर 2024 को मनाया जाना चाहिए। उन्होंने शास्त्रों में वर्णित तिथियों और ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर दीपावली इसी दिन मनाने के कई महत्वपूर्ण कारण भी बताए हैं।

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भारत में दीपावली 01.11.2024 को ही क्यों
हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा पर्व दीपावली कब मनाई जाये इस बात को लेकर संशय बना हुआ है इस संशय को दूर करने के लिए शास्त्रों के अनुसार सार गर्भित निर्णय है कि 01.11.2024 को ही दीपावली मनाना सही क्यों है इसके लिए सम्पूर्ण भारत में अमावस्या पहले दिन 31.10.2024 को दोपहर 03.53 बजे लगेगी और दूसरे दिन 01.11.2024 को शाम 06.17 बजे तक रहेगी तो स्वाभाविक है देश में अमावस्या दूसरे दिन सूर्यास्त के बाद भी रहेगी चाहे वह कितनी देर तक ही क्यों ना हो इसका प्रमाण सारांश में निम्नानुसार है।

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तो दीपावली फिर हम 01.11.2024 शुक्रवार को ही क्यों मनाये 31.10.2024 को क्यों नहीं तो इसके जबाब में धर्मसिंधु, निर्णय सिंधु, पुरुषार्थ चिंतामणि और तिथी निर्णय, जयसिंह कल्पद्रुम आदि अब उनमें कौन कौनसे नियम लिखें हुए है उनका विवरण इस प्रकार हैः-

1. जब कार्तिक अमावस्या जिस दिन प्रदोष काल या अर्ध व्यापिनी मे से कोई एक हो उस दिन दीपावली मनाई जाये वैसे इसका मुख्य काल प्रदोष है। आधी रात में कर्म करने योग्य नहीं ऐसा निर्णय सिंधु के पेज नंबर 330 परिच्छेद 2 में साफ साफ लिखा हुआ है अतः जिस दिन अमावस्या प्रदोष काल में मिले उस दिन मना लेनी चाहिए। ऐसा कब होता है जब सूर्योदय से लेकर अमावस्या पूरे दिन तक रहे तब नहीं तो दूसरा नियम यह है जो आगे अब इसी ग्रंथ में लिखा हुआ है अगर दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी हो तो दूसरे दिन दीपावली माननी चाहिए।

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ऐसा क्यों लिखा हुआ है उसका नियम भी निर्णय सिंधु में स्पष्ट लिखा है दंडैक रजनीयोगे दर्शः स्यात् परेऽहनि। तदा विहाय पूर्वेद्युः परेऽहनि सुख रात्रिका। इसका अर्थ है- (यह नियम कब लागू होगा जब दो दिन अमावस्या प्रदोष काल में हो तो) दूसरे दिन अमावस्या अगर एक दंड यानि एक घटी भी हो तो पहले दिन को त्याग कर दूसरे दिन दीपावली मनावे क्योंकि पहले दिन की जगह दूसरे दिन सुख रात्रि होती है। इसमें कोई संशय नहीं है पहले दिन जब अमावस्या पूरी नहीं है और दूसरे दिन पूरी मिल रही है तो उसके बारे में और दूसरे ग्रन्थ का श्लोक भी प्रमाण है।

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2. धर्मसिंधु के पेज नंबर 177 के अनुसार सूर्योदयं व्याप्तास्तोत्तरं घटिका रात्रिव्यापनी दर्शे सति न संदेह। यानि ग्रन्थकार का कहना है अगर दूसरे दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक अगर एक घटि यानि 24 मिनट भी अमावस्या हो तो दूसरे दिन दीपावली मनाई जावे अतः दीपावली 01.11.2024 को ही मनाया जाना श्रेयस्कर है।
पुरुषार्थचिन्तामणि, विष्णुभट्टविरचितः पृष्ठ 306 का यह वाक्यांश देखें .
तच्चोत्तरदिनेऽस्तोत्तरं घटिकाद्यवच्छेदेन विद्यते’
इसको निम्नानुसार समझा जाए.

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तत् च उत्तर दिने अस्तोत्तर घटिकाद्यः अवच्छेदेन विद्यते॥
यहाँ गौर करने लायक है कि रजनी या रात्रि का प्रयोग न करते हुए अस्तोत्तर का प्रयोग है जिससे स्पष्ट होता है कि सूर्यास्त के बाद घटिकाद्यः अवच्छेदेन विद्यते से यह बात साफ हो रही है कि घटिका के छोटे भाग में भी विद्यमान हो तो दूसरे दिन दीपावली मनाया जाना शास्त्र सम्मत है।

4. निर्णय सिंधु के पेज 300 के अनुसार अगर उस दिन स्वाती नक्षत्र अगर मिल जाता है तो उसकी प्रशंसा ही बहुत अच्छी होती है तो स्वाती नक्षत्र भी उस 01.11.2024 को पूरी रात 3.28 बजे तक रहेगा फिर ऐसा अच्छा समय मिले तो दीपावली 01.11.2024 को ही मनाई जाये ।

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5. अब कई लोग दंडैक रजनीयोगे का अर्थ अपनी मर्जी से निकालते है कि रजनीयोगे का मतलब प्रदोष काल के बाद एक दंड के बाद जबकि अमरकोष में रजनी का अर्थ साफ साफ लिखा हुआ है सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय तक का समय रजनी कहलाता है । तो 01.11.2024 को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक देश में अलग अलग जगह पर उसके सूर्यास्त के अनुसार कुछ मिनट तक तो अमावस्या रहेगी ऊपर पुरुषार्थ चिंतामणि के श्लोक का पूरा अर्थ लिखा उसमें घटी के किसी भी भाग में अगर अमावस्या मिल जाती है तो उसके अनुसार भी दूसरे दिन दीपावली 01.11.2024 को ही शास्त्र सम्मत और सही है।

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अमावस्या के दिन आपको पूजा के लिए वृषभ और सिंह लग्न नहीं मिलेंगे तो जब दीपावली 01.11.24 को सही है तो उस दिन आने वाले लग्न उसी दिन किये जायेंगे पहले दिन जब दीपावली ही नहीं होगी तो लग्न कैसे माना जायेगा। जिसको सिंह लग्न की पूजा करनी है उनको 01.11.2024 की रात को ही सिंह लग्न में पूजा करणी होगी।
श्री महालक्ष्मी पूजन का समय
चर, लाभ, अमृत का चैघड़िया प्रातः 06ः51 से 10ः59 तक
अभिजित वेला 11ः59 से 12ः44 तक
स्थिर शुभ लग्न वृश्चिक लग्न प्रातः 08ः00 से 10ः17 तक
कुम्भ लग्न दिवा 02ः05 से 03ः35 तक
वृषभ लग्न सायं 06ः40 से 08ः37 तक
सिंह लग्न रात्रि 01ः08 से 03ः24 तक

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