कुचामन उपखंड क्षेत्र की सामाजिक संस्था बरगद संरक्षण फाउंडेशन ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मिसाल कायम करते हुए मात्र एक वर्ष में 800 पौधों का एक घना प्राकृतिक वन तैयार कर दिया है।

यह वन रिंग रोड स्थित राजकीय कन्या महाविद्यालय परिसर में विश्व पर्यावरण दिवस 2024 के अवसर पर प्रारंभ किया गया था, जिसे ‘क्रीड़ा वन’ नाम दिया गया।


इस जंगल में 30 से अधिक प्रजातियों के पौधे रोपे गए हैं, जिनमें कई ऐसे पौधे भी शामिल हैं जो विलुप्ति के कगार पर हैं। खास बात यह है कि फाउंडेशन द्वारा विकसित स्वदेशी तकनीक से पौधारोपण किया गया, जिससे वन ने मात्र 12 महीनों में प्राकृतिक स्वरूप ले लिया है। अब इसमें फूल-फल आ चुके हैं और पक्षियों ने इसे अपना आश्रय व भोजन स्थल बना लिया है।
फाउंडेशन के सदस्यों ने पर्यावरणीय दृष्टिकोण से हानिकारक माने जाने वाले वेस्ट मटेरियल का सकारात्मक उपयोग करते हुए विभिन्न नवाचार किए। सिर्फ 30 प्रतिशत जल का उपयोग कर जंगल तैयार किया गया, जो जल संकट वाले क्षेत्रों के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल है।

कार्यकर्ता गंगाराम कुमावत ने बताया कि बंजर भूमि और जल संकट के समाधान हेतु फाउंडेशन ने वेस्ट मटेरियल आधारित पौधारोपण विधि विकसित की है। नतीजा यह रहा कि अत्यंत कम लागत में 800 पौधों वाला प्राकृतिक वन विकसित किया जा सका। उन्होंने कहा कि शहर की छोटी-छोटी खाली जगहों पर भी पॉकेट फॉरेस्ट बनाकर प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत किया जा सकता है।
राजकीय कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जहांगीर रहमान कुरैशी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि फाउंडेशन ने बहुत ही कम समय में बंजर भूमि को हरियाली में बदल दिया है, जिससे महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को 30 से अधिक प्रजातियों के पौधों को जानने-समझने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसी पहल अन्य संस्थानों और स्थानों पर भी दोहराई जानी चाहिए।
फाउंडेशन के निदेशक नेता राम कुमावत ने बताया कि संस्था का उद्देश्य केवल पौधे लगाना नहीं, बल्कि उनकी देखभाल बच्चों की तरह करना है। गुणवत्ता आधारित पौधारोपण और दीर्घकालीन संरक्षण ही बरगद संरक्षण फाउंडेशन की मूल पहचान है।
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