मकराना शहर के उमा हॉस्पिटल-सर्जिकल सेंटर में प्रसव के दौरान एक गर्भवती महिला की मौत हो जाने से रविवार देर रात हड़कंप मच गया। सोमवार को इस घटना को लेकर सर्व समाज की महिलाओं व पुरुषों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी करते हुए तहसील कार्यालय पहुंचे और मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। इसमें मृतका को न्याय दिलाने के लिए उच्च स्तरीय जांच तथा जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की गई।



प्रसव के बाद बिगड़ी हालत, जयपुर रेफर, फिर हुई मौत
मृतका चंदा सैनी के भाई राजेश सैनी ने मकराना थाने में दी गई रिपोर्ट में बताया कि उनकी बहन को 7 जुलाई की रात प्रसव पीड़ा होने पर परिजन उमा हॉस्पिटल लेकर गए। डॉक्टरों ने सामान्य प्रसव का दावा किया और 8 जुलाई को चंदा ने एक बच्ची को जन्म दिया। लेकिन इसके कुछ समय बाद चंदा की तबीयत बिगड़ने लगी।
परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने प्रसव के बाद परिजनों को चंदा से मिलने नहीं दिया और करीब आधे घंटे बाद जानकारी दी कि मरीज को अत्यधिक ब्लीडिंग हो रही है, जिसे वे नियंत्रित नहीं कर पा रहे। परिवार के दबाव के बाद अस्पताल ने महिला को जयपुर के लिए रेफर किया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि प्रसव के दौरान चंदा की बच्चेदानी और अन्य अंगों को गंभीर क्षति पहुंची है, जिस कारण बच्चेदानी निकालनी पड़ी। इलाज के दौरान 10 जुलाई को चंदा की मौत हो गई।

आक्रोशित लोगों ने किया प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन
महिला की मौत को लेकर लोगों में गहरा आक्रोश है। सोमवार सुबह 11 बजे सर्व समाज के लोगों ने तहसील कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया।
विरोध सभा में पूर्व विधायक श्रीराम भींचर, जूसरी सरपंच प्रकाश भाकर सहित समाज के कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे। वक्ताओं ने मामले को गंभीर लापरवाही बताया और कहा कि ऐसे अस्पतालों पर प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी अन्य परिवार के साथ ऐसा हादसा न हो।
प्रशासन ने दिया जांच का भरोसा
तहसीलदार महेंद्र सिंह ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि मामले की जानकारी सीएमओ को भेजी गई है और शीघ्र ही जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
थानाधिकारी सुरेश सोनी ने बताया कि अभी इस मामले में सीधे तौर पर मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता। सबसे पहले सीएमएचओ (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) या मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को एप्लीकेशन भेजी जाएगा। इसके आधार पर चिकित्सकों का एक बोर्ड गठित किया जाएगा। यदि बोर्ड की जांच में चिकित्सकीय लापरवाही पाई जाती है, तो उसी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस द्वारा आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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