नावां: उपखंड मुख्यालय सहित आस-पास के गांवों एवं कस्बों में रविवार को महिलाओं ने सावणी तीज का पर्व पारंपरिक रूप से हर्षोल्लास के साथ मनाया।

तीज के पावन अवसर पर रविवार सुबह घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने के साथ ही महिलाओं एवं युवतियों ने अपनी सखी-सहेलियों के साथ शिव मंदिरों में जाकर माता पार्वती की पूजा-अर्चना की और भगवान महादेव को जल अर्पित करते हुए अविनाशी सुहाग एवं सुखी दांपत्य जीवन की कामना की।


शाम को महिलाओं ने लहरिए की साड़ियाँ पहनकर, सौलह श्रृंगार कर सामूहिक रूप से सावणी तीज के गीत गाते हुए झूला झूलने का आनंद लिया।

तीज के गीतों का गान –
झूलों झूलों रे बागां म, मनड़ो डोल रे सावण म, व लहरियो सावण म सोहे, लहरियो पचरंग्यो सोहे, म तो ओढूं बार तिवार, लहरियो तीजा पर सोव
गौरी को नाजुक जीव, सूरज बादळ म छिप जा रे, म्हारी गौरी जाव झूलो झूलण
सूरज बादळ म छिप जा रे,
सावण है सखी, मौजां मनभावण, रिमझिम बिरखा बरसे रे, सगळा बलमा घर आए, सखी मेरों बलम अजमेर रे
सावण सुरंगों, भादवों जी कोई आई, आई सावणियां तीज, राज लहरियों ल्यादो रे,
इन जैसे कई गीत गाते हुए महिलाओं ने झूला झूला। झूलने के दौरान महिलाओं ने हरी टहनी से पीठ पर चोट मारते हुए झूला झूलने वाली महिलाओं से उनके पिया का नाम पूछने की पारंपरिक रस्म भी निभाई।
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