नावां: कृषि प्रधान जिलों सहित पूरे राज्य में अब किसानों को महंगे कृषि यंत्र खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। राज्य सरकार की नई पहल के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना की जा रही है, जहां से किसान ट्रैक्टर, थ्रेशर, रोटावेटर, रीपर, सीड कम फर्टिलाइज़र ड्रिल और फसल अवशेष प्रबंधन जैसे आधुनिक यंत्रों को किराए पर ले सकेंगे।

यह योजना विशेषकर लघु और सीमांत किसानों के लिए राहत लेकर आएगी, जिन्हें सीमित संसाधनों के कारण आधुनिक कृषि यंत्र खरीदना संभव नहीं होता। कस्टम हायरिंग केंद्रों की सुविधा से खेती की लागत घटेगी, उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आय में सुधार होगा।


राज्यभर में बनेंगे 1000 कस्टम हायरिंग केंद्र
राज्य में कुल 1000 कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। कृषि विभाग ने जिले में इसकी कवायद शुरू कर दी है। यह पहल केंद्र सरकार की ‘सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाइज़ेशन’ के तहत चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देना और खेती को लाभकारी बनाना है।
वित्तीय सहायता और अनुदान
कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ), सहकारी समितियों और अन्य पात्र संस्थाओं को कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित करने हेतु 30 लाख रुपये की अनुमानित परियोजना लागत पर अधिकतम 24 लाख रुपये तक का अनुदान मिलेगा। यह सहायता क्रेडिट लिंक्ड बैक एंड सब्सिडी मॉडल के तहत दी जाएगी, जिससे मशीनरी की लागत का बड़ा हिस्सा सरकार वहन करेगी।

यूँ होगा कस्टम हायरिंग केंद्रों का चयन
कृषि अधिकारियों के अनुसार – इन केंद्रों के संचालन के लिए क्रय-विक्रय सहकारी समितियां (केवीएसएस), ग्राम सेवा सहकारी समितियां (जीएसएस), राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) के क्लस्टर लेवल फेडरेशन (सीएलएफ), प्रगतिशील किसान और सेवा प्रदाता फर्मों को शामिल किया गया है। इससे स्थानीय स्तर पर रोज़गार और स्वरोज़गार के अवसर भी बढ़ेंगे।
ग्राम पंचायतों से कृषि यंत्रीकरण को गति
ग्राम पंचायत स्तर पर कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना से कृषि यंत्रीकरण को नई दिशा मिलेगी। इससे न केवल किसानों की कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सशक्त होगी। खेती को वैज्ञानिक और व्यवस्थित ढंग से करने में यह योजना मील का पत्थर साबित हो सकती है।
खेती के उत्पादन में वृद्धि और लागत में कमी
इस योजना से किसानों को आधुनिक तकनीक का लाभ मिलेगा, जिससे वे कम समय में अधिक कार्य कर सकेंगे। विशेष रूप से जिन किसानों के पास स्वयं के संसाधन नहीं हैं, उन्हें अब मशीनों के अभाव में पिछड़ना नहीं पड़ेगा। आधुनिक यंत्रों के माध्यम से खेतों की बुवाई, कटाई और थ्रेशिंग अधिक कुशल ढंग से संभव हो सकेगी।
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