Sunday, July 27, 2025
Homeकुचामनसिटीकुचामन सिटी में मेगाहाइवे के बीचोबीच बनी गौशाला, श्रेय लेने वालों को...

कुचामन सिटी में मेगाहाइवे के बीचोबीच बनी गौशाला, श्रेय लेने वालों को ढूंढ रहे लोग

- विज्ञापन -IT DEALS HUB

हां, सही सुना– कुचामन सिटी के विकास की दिशा कुछ ऐसी हो गई है कि अब गायों को गौशालाओं में नहीं, बल्कि सीधे मेगाहाइवे पर छोड़ दिया गया है। शायद सोच यह है कि यूं ही भटकते-भटकते इनसे जल्दी छुटकारा मिल जाएगा।

- विज्ञापन -image description

अब सवाल यह है कि इस विकास का श्रेय कौन लेगा – कलक्टर, उपखंड अधिकारी, नगर परिषद या जनप्रतिनिधि?

- विज्ञापन -image description
image description

आज की तस्वीरें साफ बयां कर रही हैं कि कुचामन सिटी में जीव सेवा किसे कहते हैं। जिन गायों को माता तुल्य माना जाता है, वे आज सड़कों पर भटक रही हैं – एक-दो नहीं, पूरा झुंड।

- Advertisement -ishan

यह दृश्य भैरू तालाब क्षेत्र के पास देखा गया, जहां हर शाम 30 से अधिक गायें मेगाहाइवे पर खड़ी रहती हैं। इस हाईवे से रोज सैकड़ों वाहन गुजरते हैं, जिनमें उन अधिकारियों की गाड़ियाँ भी शामिल होती हैं, जिनके कंधों पर कुचामन की जिम्मेदारी है। उन जनप्रतिनिधियों के काफिले भी इसी रास्ते से गुजरते हैं – वही लोग जो वोट के नाम पर गौवंश की राजनीति करते हैं।

ऐसे भी लोग हैं जो गौभक्त बनकर गौ सेवा के नाम पर लाखों रुपए का चंदा लेते हैं, लेकिन किसी की नजर इन जीवों पर नहीं पड़ती, या फिर वे इन गौवंशों से आंख मिलाने से कतरा रहे हैं।

एक दुर्घटना ले सकती है कई जानें

हाईवे पर विचरण करते ये निराश्रित गोवंश किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। अचानक किसी वाहन के सामने आ जाने पर न सिर्फ वाहन चालक की जान को खतरा होता है, बल्कि गायों की भी मौत होती है। खासकर हाईवे के कुछ मोड़ ब्लैक स्पॉट बन चुके हैं जहां ऐसी घटनाएं आम होती जा रही हैं।

रात के समय खतरा और बढ़ जाता है – कुछ जगहों पर सड़क पर न तो संकेतक हैं न ही ट्रैफिक लाइट और स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था। ऐसे में अंधेरे में अचानक सामने आने वाले गोवंश के कारण संतुलन बिगड़ने से दुर्घटनाएं होती हैं।

कॉलोनीवासियों की परेशानी

भैरू तालाब के आस-पास के कॉलोनीवासियों का कहना है कि यह गौवंश शहर से दूर नहीं आता बल्कि इन्हें दूर छोड़ दिया जाता है, जिसके चलते वे एक जगह एकत्र हो जाते हैं। साईं वैली, डी मार्ट जैसे इलाकों में इन पशुओं की आपसी लड़ाई से वाहन क्षतिग्रस्त होते हैं और कभी-कभी लोग भी घायल हो जाते हैं।

लगातार शिकायतों के बाद भी प्रशासन चुप

स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई बार शिकायत करने के बाद भी न तो प्रशासन ने कोई कार्रवाई की और न ही नगर परिषद ने। लोगों का सवाल है कि क्या शहर से दूर स्थित क्षेत्र कुचामन सिटी का हिस्सा नहीं है? अगर है, तो फिर इन समस्याओं को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है?

गौशालाएं फिर भी गोवंश भटक रहा

कुचामन सिटी में 3 से 4 गौशालाएं मौजूद हैं। इसके अलावा हर एक गांव में भी गौशालाएं हैं। फिर भी यह गोवंश सड़कों पर क्यों घूम रहा है? प्रशासन और परिषद इन्हें एक सुरक्षित स्थान उपलब्ध क्यों नहीं करा पा रहे? यह सीधी-सीधी लापरवाही है।

करोड़ों का चंदा, फिर भी बेसहारा गोवंश

दुकान, मंदिर, घर में एक दान पात्र जरूर रखा होता है – गौसेवा के नाम पर। कई संस्थाएं घर-घर जाकर चंदा इकट्ठा करती हैं। लेकिन आज की यह तस्वीर उन सभी को बेनकाब कर रही है। वे लोग जो गाय के नाम पर चंदा लेते हैं और जो वोट लेते हैं – दोनों की असलियत सामने है।

राजस्थान शायद देश का एकमात्र राज्य है, जहां गौमाता के लिए अलग से गोपालन विभाग बनाया गया। इसकी शुरुआत 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार में हुई थी।

इसके तहत 2016 में राजस्थान गौसंरक्षण एवं संवर्धन निधि की स्थापना की गई, जिसके माध्यम से गौशालाओं को 1100 करोड़ रुपए से अधिक की सहायता दी जा चुकी है। अब तक यह आंकड़ा और भी बढ़ चुका है, फिर भी गोवंश की यह दुर्दशा क्यों?

सरकार ने आवारा शब्द को हटाकर इन्हें निराश्रित या बेसहारा कहने की नीति बनाई, लेकिन असली सवाल यह है कि – जब इतना बड़ा विभाग और हजारों करोड़ का बजट है, तो इन गौवंश को सड़कों पर छोड़ने की नौबत क्यों आ रही है?

  • प्रदीप जांगिड़ (रिपोर्टर)
- Advertisement -
image description
IT DEALS HUB
image description
Physics Wallah
RELATED ARTICLES
- Advertisment -image description

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!